रेलवे बोर्ड सदस्य बनाने में नियमों की अवहेलना नहीं की गई थी। इसमें किसी तरह की गढ़बड़ी नहीं की गई।
कुमार को इलेक्ट्रिकल बनाने की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हुई थी। उन्होंने इस काम के लिए अपने भांजे विजय सिंगला द्वारा ली गई 90 जाख रूपयें की रिश्वत से भी अपना पल्ला झाड़ लिया। उनका कहना था कि इस संबंध में उन्हें कोई जानकारी नहीं है।
CBI के स्पेशल यूनिट में मंगलवार लगभग तीन घंटे चली पूछताक्ष के दौरान जांच अधिकारी ने बंसल से भांजे के साथ संबंधों को लेकर सबसे ज्यादा सवाल किए। CBI के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बंसल के खिलाफ जांच एजेंसी के पास ठोस बूत नहीं है। हालांकि, अन्यारोपियों के खिलाफ निर्धारित समय से पहले ही चार्जशीट दाखिल हो जाएगी।
पवन बंसल के खिलाफ ठोस सुबूत न होने की दलीलें दिए जाने से यह साफ है किइस रिश्वत कांड में पूर्व रेल मत्री के खिलाफ मुकदमानहीं चलेगा। CBI द्वारा बंसल को भेजे गए नोटिस में उन्हें गवाह के तौर पर पूछताछ के लिए बुलाया गया था। पूछताछ में CBI यह जानना चाहती थी कि आखिर विजय सिंगला पूरे दिन उनके घर या दफ्तर में किस हैसियत से मौजूद रहता था। उसके इस तरह के व्यवहार के बारे में उन्हें कभी आशंका हुई या नहीं। बंसल का कहना था। उसकी हरकत के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं थी।
प्वन बंसल के चंडीगढ़ स्थित घर से उनके भांजे विजय सिंगला को रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया था। इससे उठे राजनीतिक बवंडर के दबाव में बंसल को रेल मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पूछताछ में पता चला है कि बंसल और महेश की 16 अप्रैल को मुंबई में मुलाकात के दौरान नियुक्ति होना तय किया गया था। इस पूरे मामले में महेश कुमार और विजय सिंगला सहित CBI 10 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है।