पटना। बिहार आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उप सभापति अनिल कुमार सिन्हा ने कहा है कि आपदा बिन बुलायी मेहमान नहीं है अगर भवन सुरक्षित तरीके से निर्मित नहीं है, तो आपदा को तो आमंत्रण दिया जा चुका है। सड़क पार करते हुए अगर दायें-बायें नहीं देखते, तो हम आपदा को आमंत्रण देते हैं। प्राकृतिक आपदा भी मानव निर्मित है। श्री सिन्हा ने यह बातें राज्यस्तरी आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर आयोजित पर बाल संवाद को संबोधित करते हुए कहीं।
स्थानीय गार्गी गार्डन में आयोजित बाल संवाद में मधुबनी, खगड़िया,पश्चिम चम्पारण,दरभंगा, समस्तीपुर के 50 बच्चोंने भाग लिया। बच्चों को संबोधित करते हुए श्री सिन्हा ने आगे कहा कि बच्चे अपने स्कूल,गांव व इलाके की आपदा की दृष्टि से मैंपिंग करे। आपदा के समय क्या करे व क्या न करें कि जानकारी सभी को दें। उन्होंने बच्चों से आपदा को लेकर रिहर्सल पर जोर दिया।
आपदा न्यूनीकरण पर बाल संवाद की शुरूआत 2012 में हुई। एक साल में विभिन्न स्कूलों में बच्चों ने आपदा न्यूनीकरण के अपने प्रयास से साझा किया। बाल संवाद में बच्चों ने सूबे के सभी स्कूलों में स्कूल आपदा समिति बनाने की मांग की। बच्चों ने जोर देकर कहा कि समिति में प्राचार्य व शिक्षकों के अलावे बच्चों को भी शामिल किया जाये।
बाल संवाद को संबोधित करते हुए बाल संरक्षक आयोग की पूर्व अध्यक्ष निशा झा ने कहा कि बच्चे बाल विवाह भी रोक सकते हैं। उन्होंने बच्चों से कहा कि बाल विवाह होने पर बच्चे विवाह मंडप को घेरकर चुपचाप खड़े हो जाए और पुलिस को सूचना दें। बाल संवाद को संबोधित करते हुए कई बच्चों ने अपने अनुभव सुनाये। उन्होंने कहा कि आपदा समिति में बच्चों को शामिल करने से चापाकलों में जहर डालने जैसी घटनाओं को आसानी से रोका जा सकता है।
बाल संवाद को संबोधित करते हुए बिहार इंटर एजेंसी ग्रुप के संयोजक संजय पाण्डेय ने कहा कि बच्चों के जरिये पूरे समाज में जागरूकता लायी जा सकती है और आपदा के प्रभाव को बहुत हद तक कम किया जा सकता है। बाल संवाद में कई बच्चों ने कहा कि बाल संवाद संसद एवं मीना मंचों के कार्यक्रमों में भी आपदा न्यूनीकरण पर चर्चा होनी चाहिए। कई बच्चों ने आपदा न्यूनीकरण को पाठ्यकमों में शामिल करने की मांग की। बाल संवाद में यामिन मजूमदार, यूनिसेफ की बिहार प्रमुख, स्निग्घाकांत ने भी विचार रखें।