नई दिल्ली : प्रदूषण के बढ़ते हुए स्तर को देखते हुए कई देशों ने पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहनों पर रोक लगाने का फैसला किया है। दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए कोर्ट ने पहले ही पटाखों पर बैन लगा दिया है। भविष्य के ईंधन के रूप में गाडि़यों को चलाने के लिए बिजली का प्रयोग किया जाएगा। इसके लिए सरकारों ने अभी से इलेक्ट्रिक वाहनों पर काम करना शुरु कर दिया है।
चीन के बाद अब ब्रिटेन ने भी पेट्रोल-डीजल के वाहनो पर रोक लगाने का फैसला किया है। ब्रिटेन सरकार ने देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के काम को रफ्तार देना शुरु कर दिया है। ब्रिटेन के परिवाहन मंत्री जोन हेज ने इस संबंध में कुछ एलान किए हैं जिसके तहत मोटरवे सर्विसेज और पैट्रोल पंपों को इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जर स्थापित करने होंगे। आने वाले समय में वहां इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या ज्यादा होगी और पैट्रेल-डीजल पंप की जगह चार्जिंग स्टेशन ज्यादा होंगे। ब्रिटिश सरकार ने ऑटोमेटेड वाहनों यानी सॉफ्टवेयर के साथ अपने आप चलने वाले के संबंध में भी खास प्रावधान किए हैं।
ब्रिटेन में सरकार की ओर से पिछले दिनों संसद में पेश किए गए ऑटोमेटेड और इलेक्ट्रिक वाहन बिल का मकसद देश भर में मुख्य मार्ग पर इलेक्ट्रिक चार्जर को स्थापित करना है। दूसरी ओर यह बिल सरकार को देश भर में इलेक्ट्रिक चार्जर स्थापित करने की ताकत देता है। इसका मतलब है कि सरकार देशभर के पैट्रोल पंपो को इलेक्ट्रिक चार्जर स्थापित करने के लिए मजबूर कर सकती है। सरकार के मुताबिक चार्जिंग स्तेशनों का नैटवर्क मजबूत होना चाहिए यानि कि पूरे ब्रिटेन में ऐसी मांग को पूरा करने के लिए चार्जिंग स्टेशनों को नैशनल ग्रिड के साथ जोड़ा जा सकता है। इसके साथ ही पंप मालिकों को ऐप या वैब के जरिए इलेक्ट्रिक वाहन ड्राइवर को जगह की लोकेशन और स्टेशन खुले रहने का समय आदि के बारे में जानकारी देनी होगी।
ऑटोमेटड और इलेक्ट्रिक वाहन बिल में ब्रिटेन के सैल्फ ड्राइविंग के भविष्य के लिए भी प्रावधान जोड़े गए हैं। इसके मुताबिक अगर ऑटोमेटड वाहन की दुर्घटना सॉफ्टवेयर के साथ छेड़छाड़ या अपडेट न होने के कारण होती है तो उस हालत में कार मालिक को दोषी माना जाएगा। सरकार ने इलेक्ट्रिक और ड्राइवर मुक्त उद्योग में 1.2 बिलियन पौंड का निवेश करने की योजना बनाई है। इसका मक्सद स्थानीय अधिकारियों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। ताकि आवासीय क्षेत्र की सड़कों में चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जा सकें जहां अक्सर गाड़ियां खड़ी की जाती हैं। लोगों को इसके लिए ज्यादा दूर तक जाने की जरूरत न पड़े।
दिल्ली में बिजली से वाहन चलाने के लिए 5.50 रुपये प्रति यूनिट की दर से शुल्क का भुगतान करना होगा। इलेक्ट्रिक वाहनों पर होने वाले खर्च के बारे में पूछे जाने पर प्रबीर सिन्हा ने कहा एक गाड़ी को चार्ज करने में 6 से 8 यूनिट लगेगा। इसके जरिये लगभग 100 किलोमीटर तक की यात्रा की जा सकती है। ऐसे में आपको 100 किलोमीटर चलने के लिए लगभग 42 रुपये खर्च करने होंगे। अगले तीन से चार साल में डीजल और पेट्रोल से चलने वाले सरकारी वाहनों की जगह इलेक्ट्रिक वाहन लाने की योजना है। इसके लिए सार्वजनिक क्षेत्र की ऊर्जा दक्षता सेवा लिमिटेड 10,000 इलेक्ट्रिक कार खरीद रही है।
डीडीएल वाहनों के चार्जिंग की ढांचागत सुविधा प्रदान करने वाली कंपनी है। यह टाटा पावर और दिल्ली सरकार की संयुक्त उद्यम है। अभी भारत में इलेक्ट्रिक वाहन का प्रचलन ज्यादा नहीं है। फिर भी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दे सकती है। प्रबीर सिन्हा ने बताया कि दिल्ली में हमने रोहिणी, दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर, पीतमपुरा, शालीमार बाग और मॉडल टाउन में चार्जिंग केंद्र लगाए हैं। पर अभी गाड़ियों की संख्या बहुत अधिक नहीं है। संख्या बढ़ने पर हम चार्जिंग केंद्रों की संख्या बढ़ाएंगे। वैसे हमारी अगले 5 साल में 1,000 चार्जिंग केंद्र लगाने की योजना है। डीडीएल के प्रबंध निदेशक प्रबीर सिन्हा ने ये जानकारी दी है।