जी हां, शहरी क्षेत्र के महत्वपूर्ण शौचालय को ग्रामीण क्षेत्र में भी महत्व प्रदान करने के उद्देश्य से आगामी 23 नवम्बर, 2013 को विशव शौचालय दिवस घोषित किया गया है। इसको लेकर कार्यक्रम करने की तैयारी जोरशोर से शुरू कर दी गयी है। इस संदर्भ में प्राथमिक विघालय, कमालपुर, मानपुर के शौचालय की स्थिति को देख सकते हैं। पानी के अभाव में शौचालय की दुर्दशा झलकती है। अभी यह होता है कि एक विभाग के द्वारा शौचालय निर्माण करा दिया जाता है। उसके बाद द्वितीय विभाग के द्वारा पानी की व्यवस्था की जाती है। तीसरे के द्वारा सफाई की व्यवस्था की जाती है। उसके कारण शौचालय का बुरा हाल हो जाता है।
महिला विकास और महिला उत्पीड़न के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाली सामाजिक कार्यकत्री मंजू डूंगडूंग का कहना है कि सूबे के लाखों महादलित, गरीब, आदिवासी, अत्यंत गरीब लोगों के पास शौचालय नहीं है। महादलितों के पास अपर्याप्त जमीन है। जिसके कारण शौचालय निर्माण नहीं करा पाते हैं। सरकार को चाहिए कि कम से कम 10 डिसमिल जमीन आवासहीनों को दें ताकि मिली जमीन पर घर, चापाकल, शौचालय, गृह वाटिका, मवेशी रखने आदि की व्यवस्था कर सकें। इसका खामियाजा महिलाएं, किशोरी एवं बच्चियों को भुगतना पड़ता है। उन्हें सरेशाम दुष्कर्म के शिकार होना पड़ता है। रोड के किनारे शौच करती महिलाओं को उठा बैठकी तक करना पड़ता है। जब कोई आते हैं तो खड़ा और उनके चले जाने के बाद बैठना पड़ता है। इनको अश्लील ताना और गाली भी सुनना पड़ता है।
उनका कहना है कि जिस प्रकार हम नेताओं के जन्मदिन और पुण्यतिथि मनाते हैं। उनके आदर्शो और मूल्यों पर चलने का संकल्प लेते हैं। उसी तरह विश्व शौचालय दिवस 23 नवम्बर के अवसर पर सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं के द्वारा जमकर चर्चा की जाएगी। शौचालय निर्माण के बारे में संकल्प लिये जाएंगे। उसके बाद 364 दिन भूल जाएंगे। आज जरूरत है। गांवघरों में शौचालय के अभाव में होने वाले अनैतिक कार्य से मुकाबला करना। महिलाओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ गोलबंद होने पर बल दिया।
सनद रहे कि केन्द्रीय ग्रामीण विकास जयराम रमेश ने भी घर-घर में शौचालय निर्माण करने की वकालत करते हैं। निर्मल भारत अभियान के तहत 9 हजार रू. दिये जाते हैं। वहीं वाटर एड के परियोजना निदेशक बृजेन्द्र कुमार ने कहा कि जुलाई,2013 से शौचालय निर्माण पर 9100 रूपए दिया जा रहा है। बीपीएल परिवारों को व्यक्तिगत शौचालय के निर्माण पर सरकार ने 9100 रूपए आर्थिक सहायता दे रही है। यह राशि लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग व ग्रामीण विकास विभाग की ओर दी जा रही है। केन्द्र सरकार की ओर से निर्मल भारत अभियान की ओर से 4600 रूपए व मनरेगा के तहत 4500 रूपए दिये जा रहे हैं। लाभार्थी के जॉब कार्ड से मनरेगा की राशि की निकासी की जाती है। वहीं लाभार्थी को अपने पास से 900 रूपए का योगदान करना पड़ता। इस तरह से एक यूनिट शौचालय निर्माण पर 10 हजार रूपए व्यय होगा।