खैर, कौथवा पंचायत के मुखिया रामाशीष यादव के पास मृतक के परिजनों को कबीर अंत्येष्ठि योजना के तहत 15 सौ रूपए देने की राशि नहीं है। यह भी नहीं कि कबीर अंत्येष्ठि योजना की राशि बाद में मृतक के परिजनों को दे दी जाएगी। ऐसा नहीं होता है। इसके कारण मुसहर समुदाय के लोगों के द्वारा हिन्दू धर्मावलम्बी होने के बाद भी मृतक को मिट्टी तले दफनाने को मजबूर होना पड़ता है।
आज कौथवा मुसहरी में रहने वाले उमेश मांझी के पुत्र विजय मांझी को पैसे के अभाव में दफनाया गया। मृतक उमेश मांझी ने बताया कि आज सुबह में मुखिया जी के पास जाकर जानकारी दी गयी। मेरा पुत्र विजय मांझी की मौत हो गयी है। सो कबीर अंत्येष्ठि योजना की राशि उपलब्ध करा दी जाए। इस पर मुखिया रामाशीष यादव का कहना था कि उनके पास राशि नहीं है ताकि आपको उपलब्ध करा सके। यह जांच का विषय है कि मुखिया जी के पास राशि उपलब्ध है अथवा नहीं? इतना तो कहा जा सकता है कि मुखिया जी के द्वारा उपलब्ध कराने के बाद बीडीओ कार्यालय से बाद में मिल जाता है।
बहरहाल, सबसे बुरा हाल पटना, भोजपुर, अरवल, बक्सर, रोहतास, औरंगाबाद, समस्तीपुर, नवादा, जमुई, बांका, भागलपुर, अररिया, सहरसा, मधेपुरा, बेगूसराय, खगड़िया, मधुबनी, पूर्णिया, पूर्वी चम्पारण आदि जिलों में एक भी खाता नहीं खुला है। इससे साबित होता है कि यहां के नौकरशाह गरीबों के प्रति कितना संवेनशील और हितैशी हैं। समाज कल्याण विभाग की मंत्री परवीन अम्मानउला के आदेश को खटाई में डालने से डरते नहीं हैं।
कौथवा मुसहरी में उमेश मांझी नामक मुसहर रहते हैं। इनके पुत्र विजय मांझी (35 साल)की शादी रिंकी देवी के संग हुई है। दोनों की शादी पांच साल पहले हुई थी। इस बीच रिंकी देवी गर्भधारण हो गयी। दुर्भाग्य से रिंकी देवी की गर्भपात हो गयी। रिंकी देवी का घर संपतचक थानान्तर्गत कच्छुआरा के कन्नौजी गांव में है। वहीं पर विजय मांझी गया था। खाना खाने के बाद छत पर जाकर सो गया। नींद से बौझिल होने और गलत अंदाज लगा जाने के कारण विजय मांझी छत पर से गिर गया। वह असंगठित क्षेत्र के ठेला चालक था। इसके अलावे कभी मजदूरी भी करके परिवार का लालन-पालन करता था।
उसी समय विजय मांझी को उठाकर पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में भर्त्ती कराया गया। इसको पंजीकृत करके डाक्टर (प्रो0) अर्जुन सिंह के यूनिट में भर्त्ती किया गया। स्पाइनल वार्ड के बेड संख्या व्ही/9 में रखा गया। दो सप्ताह तक चिकित्सक की दवा-दारू ,नर्सों की सेवा और परिजनों की दुआ काम नहीं आया। काफी दवा-दारू करने के बाद विजय मांझी को बचाया नहीं जा सका। 14 नवम्बर,2013 को 12:30 पीएम में निधन हो गया। कौथवा मुसहरी के सामने मुसहरों को दफनाने वाले स्थल को 15 नवम्बर,2013 को दोपहर 2 बजे दफना दिया गया।