नई दिल्ली : कहते है कि वो चार दिवारी जो आपको धुप, बारिश, गर्मी, सर्दी से आपको बचा सके वही आपका घर कहलाता है। यहाँ हम आपको उस शख्स के बारे में बताएंगे जो टॉयलेट को अपना घर बनाकर रह रहा है। जी हां- ओडिशा के सुंदरगढ़ के जलदा गांव के रहने वाले छोटू रौशिया को जब रहने के लिए कोई घर नहीं मिला तो उन्होंने टॉयलेट को ही अपना आशियाना बना लिया।
आपको बता दें कि साल 1955 में जब राउरकेल स्टील प्लांट तैयार किया जा रहा था, उन दिनों प्लांट बनने की वजह से छोटू को अपने घर से हाथ धोना पड़ा था। कुछ दिन बाद छोटू के माता-पिता की भी मौत हो गई और वह अस्थाई रूप से एक घर में रहने लगे। पैसों की तंगी की वजह से जर्जर घर की हालत में सुधार करना काफी मुश्किल था।
गरीबी के कारण उन्होंने PM आवास योजना के तहत एक आवेदन किया। दफ्तरों से लेकर अफसरों तक सबके चक्कर काटने के बाद भी नाकामयाबी ही हाथ लगी और घर नहीं मिला। इसके बाद इस शख्स की परेशानियों को देखते हुए मदद के लिए जलदा ग्राम पंचायत के सरपंच जपूर ओरम सामने आए। उन्होंने सलाह दी कि वह उसके लिए घर बनवाने में तो मदद नहीं कर सकते हैं, लेकिन वह एक शौंचालय का निर्माण जरूर करवा सकते हैं, फिर क्या कुछ दिन बाद एक छोटा चार दीवारी का शौंचालय बनकर तैयार हो गया। अब उन्होंने टॉयलेट को ही अपना घर बना लिया है।
वह सामान्य दिनों में टॉइलट के बाहर रहते हैं। मौसम बदलने पर वह अंदर रहते हैं। क्योंकि वह टॉइलट को घर बनाकर रह रहे हैं, शौच के लिए उन्हें बाहर ही जाना पड़ता है। उसमें और कुछ हो न हो, चार पक्की दीवारें हैं जो तेज धूप या बारिश में बचाती हैं। सरकार कितना ही गरीबों के लिए आवास योजना बना लें, लेकिन आज भी ऐसे बहुत से लोग हैं जो इस योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। कई लोग छोटू की तरह हैं जो आवास योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन तो कर रहे हैं,लेकिन उन्हें बस दफ्तरों और ऑफिसों के चक्कर कटवाए जा रहे हैं।