नई दिल्ल्ली : CBI निदेशक आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच सकता है। सरकार ने CBI में मचे घमासान को थामने के लिए देर रात दो बजे CBI निदेशक आलोक वर्मा, स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना और अतिरिक्त निदेशक एके शर्मा को जबरन छुट्टी पर भेज दिया। माना जा रहा है इन सभी के छुट्टी पर भेजे जाने से कई हाई प्रोफाइल मामलों पर असर पड़ सकता है।
वकील प्रशांत भूषण ने अमर उजाला को बताया कि CBI निदेशक आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे का मामला जल्द ही सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में लाया जाएगा। भूषण के मुताबिक CBI निदेशक की नियुक्ति दो साल के लिए सरंक्षित होती है, जिसे प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और विपक्ष दल के नेता की कोलेजियम मिल कर करती है। आलोक वर्मा के नाम का चयन प्रधानमंत्री मोदी, पूर्व चीफ जस्टिस जेएस केहर और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की कोलेजियम ने किया था।
प्रशांत भूषण ने उन्हें हटाने के पीछे इस संभावना पर बल दिया कि संभव है कि राफेल मुद्दे की जांच को लेकर वे CBI निदेशक से मिले थे। उनके साथ अरुण शौरी और यशंवत सिन्हा भी थे। प्रशांत भूषण का कहना है कि CBI निदेशक ने उन्हें आश्वासन दिया था कि वे राफेल मामले में उचित कार्रवाई करेंगे।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक रात साढ़े 11 बजे CBI के तीनों वरिष्ठ अधिकारियों को छुट्टी पर भेजे जाने का फैसला जारी किया गया। रात डेढ़ बजे सीबीआई के संयुक्त निदेशक एम नागेशवर राव ने कार्यकारी निदेशक की कुर्सी संभाल ली। जिसके बाद सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के कहने पर छुट्टी पर भेजे गए अधिकारियों के दफ्तर पर छापेमारी की गई और CBI दफ्तर का 10वां और 11वां फ्लोर पूरी तरह सील कर दिया गया।
सूत्रों ने बताया कि CBI के इन तीनों वरिष्ठ अफसरों को छुट्टी पर भेजने से कई हाई प्रोफाइल मामलों की जांच पर असर पड़ सकता है। उनका कहना है कि इस पूरे प्रकरण का असर विजय माल्या के भारत प्रत्यापर्ण पर भी पड़ सकता है। क्योंकि माल्या मामले की जांच राकेश अस्थाना स्वयं कर रहे थे और उसके मामलों की सुनवाई के लिए लंदन भी गए थे।