भारत में पहली बुलेट ट्रेन लाने की तैयारी, जापानी PM और मोदी मिलकर करेंगे शुरुआत

नई दिल्ली: PM मोदी के ड्रीम प्रॉजेक्ट माने जाने वाले बुलेट ट्रेन प्रॉजेक्ट का अगले महीने से शुरुआत होने जा रही है। इसके लिए प्रधानमंत्री कार्यालय ने तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि 14 सितंबर को अहमदाबाद के साबरमती स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे भी मौजूद रह सकते हैं।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार चाहती थी कि गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले इस प्रॉजेक्ट का शिलान्यास किया जाना चाहिए। माना जा रहा है कि जापान के प्रधानमंत्री के भारत दौरे का कार्यक्रम लगभग फाइनल हो जाने के बाद केंद्र सरकार ने भी रेलवे को इसकी तैयारियां करने के लिए कहा है। मुंबई और अहमदाबाद के बीच बनने वाले इस बुलेट ट्रेन प्रॉजेक्ट की कुल लागत एक लाख 10 हजार करोड़ रुपये आने की संभावना है। माना जा रहा है कि इस प्रॉजेक्ट के तैयार होने का सबसे बड़ा फायदा मुंबई से अहमदाबाद के बीच रोजाना आने-जाने वाले लोगों को होगा।

केंद्र सरकार पहले ही इस प्रॉजेक्ट को एक बड़ी पहचान के रूप में पेश करना चाहती है। सरकार को लगता है कि जिस तरह से दिल्ली मेट्रो ने पूरे देश में पहचान बनाई और फिर उसकी राह पर चलते हुए अन्य शहरों में भी मेट्रो बनी, उसी तरह से यह प्रॉजेक्ट अपनी साख कायम करे। जिससे तय वक्त से पहले प्रॉजेक्ट का शिलान्यास करते हुए इसे देश को मोदी सरकार की देन के रूप में पेश किया जा सके।

इंडियन रेलवे के सूत्रों का कहना है कि इस प्रॉजेक्ट के लिए पहले से ही तैयारियां चल रही हैं। हालांकि रेलवे सूत्रों का कहना है कि इस प्रॉजेक्ट के तहत सबसे पहले ट्रेनिंग सेंटर का निर्माण किया जाएगा, ताकि जब तक बुलेट ट्रेन प्रॉजेक्ट तैयार हो, उससे पहले ट्रेनिंग सेंटर बन जाए और वहां बुलेट ट्रेन के ऑपरेशन में जुड़ने वाले कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जा सके। इससे बुलेट ट्रेन प्रॉजेक्ट पूरा होते ही उसे मुसाफिरों के लिए शुरू किया जा सकेगा।

वहीँ अधिकारियों का यह कहना है कि पहले से ही इस प्रॉजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। यह कार्य राज्य सरकारें कर रही हैं। इसके अलावा यह भी तय हो गया है कि इस प्रॉजेक्ट के तहत ट्रैक एलिवेटेड होंगे, ताकि किसी तरह की सेफ्टी और सिक्यॉरिटी को लेकर दिक्कत न हो। इस प्रॉजेक्ट के तहत कुछ हिस्से को छोड़कर बाकी हिस्से के लिए सिविल कार्यों में इंडियन कंपनियां हिस्सा लेंगी और वे जूनियर पार्टनर के रूप में विदेशी कंपनियों को अपने साथ रख सकेंगी।