इन दिनों गठबंधन के झटके झेल रही कांग्रेस सरकार की सिथरता को लेकर चाहे संदेह हो, लेकिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपनी सरकार के कार्यकाल को लेकर पूरा भरोसा है। प्रधानमंत्री का मानना है कि गठबंधन की सियासी मजबूरियों के बावजूद उनकी सरकार पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी। मौका मिलने पर प्रधानमंत्री के तौर पर अपनी तीसरी पारी के सवाल को उन्होंने आने वाले वक्त पर छोड़कर सियासी पंडितों को भविष्यवाणी करने के लिए सिग्नल दक दिए हैं।
डरबन में हुए ब्रिक्स सम्मेलन से लौटते हुए अपने विशेष विमान में जब प्रधानमंत्री से पूछा गया कि अगर 2014 के चुनाव में मौका आने पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी तीसरी बार आपको प्रधानमंत्री बनने को कहती है तो क्या आप इसे स्वीकार करेंगे? उन्होने इस सवाल को टालते हुए कहा अभी इन सवालों का कोर्इ मतलब नहीं है। अभी ये सब वास्तविकता से परे हैं। आजादी के बाद लगातार करीब दस साल तक सत्ता की बागडोर संभालने वाले मनमोहन सिंह पंडित नेहरू के बाद दूसरे प्रधानमंत्री हैं।
मनमोहन से जब यह सवाल पूछा गया कि दुनिया भर में कर्इ नेताआं ने 80 साल की उम्र पूरी करने के बाद भी कर्इ मुकाम हुए हैं और क्या आपमें भी उतनी उर्जा शकित बरकरार है जो आपको और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है तो प्रधानमंत्री ने बेहद सधे हुए शब्दों में कहा, मैं पूरी र्इमानदारी और लगन से देश की सेवा की है। मैं इसमें कामयाब रहा या नहीं, इसका फैसला देश की जनता करेगी। प्रधानमंत्री ने बेहद सहजता के साथ हर उस कठिन प्रश्न का जवाब दिया जो इस दौर में मुलायब सिंह द्वारा समर्थन वापस लेने की आशंकाओं पर प्रधानमंत्री ने कहा, निशिचत तौर पर गठबंधन सरकारों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में कर्इ बार ऐसा आभास होता है कि यह गठबंधन बहुत सिथर नहीं है। मैं इस बात से इन्कार नहीं करता कि हमारे साथ ऐसा नहीं है, लेकिन मुझे पूरा भरोसा है कि हमारी सरकार पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी और अगले लोकसभा चुनाव अपने तय समय पर होंगे।
मनमोहन ने सीधे शब्दों में इस बात से इन्कार किया कि उनकी अगुआर्इ में कांग्रेस पार्टी अपने सहयोगियों को एक साथ जोड़ पाने में नाकाम हो रही है। उनका कहना था मैं ऐसा नहीं समझता। जैसा मैंने कहा कि गठबंधन की कुछ मजबूरियां होती हैं और हम उनसे मुंह नहीं मोड़ सकते। उन्होंने जोड़ा कि हम गठबंधन की इन मजबूरियों के चलते न तो आर्थिक सुधारों की रफ्तार धीमी पड़ने देंगे और न ही शासन के कामकाज पर असर पड़ने देंगे। प्रधानमंत्री के मुताबिक हमारे पास कुछ आर्थिक सुधारों को संसद से पारित कराने के लिए बहुमत नहीं है। ऐसे में हम निशिचत तौर पर अपने सहयोगियों के भरोसे हैं।
प्रधानमंत्री ने चीन के साथ हुई बातचीत के बारे में कहा कि भारत चीन के साथ ब्रह्मपुत्र नदी पर डैम को लेकर एक संयुक्त तंत्र के साथ आकलन करने के पक्ष में है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने चीन के राष्ट्र प्रमुख के समक्ष अपनी भावना रख दी है। प्रधानमंत्री ने ब्रिक्स सम्मेलन को बेहद सकारात्मक बताया। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में इसके असर देखने को मिलेंगे।