वो करोड़ों लोगों की दुआओं का ही असर था कि प्रिंस सकुशल बाहर निकाल लिया गया। उस समय सरकार, सामाजिक संगठनों, शिक्षण संस्थाओं से लेकर बॉलीवुड तक ने उसे हाथोंहाथ लिया था और घोषणाओं की झड़ी लगा दी थी। किसी ने आर्थिक मदद करने की बात कही, किसी ने उसका आजीवन खर्चा उठा उसका भविष्य संवारने की तो किसी ने उसे निशुल्क शिक्षा दिलाने का वादा किया था। लेकिन विडंबना देखिए, उस समय दुनियाभर का ’प्रिय’ बना प्रिंस आज अपनी पढ़ाई तक के लिए मजदूरी करने को मजबूर है।
घर की गरीबी अवस्था के कारण वह सरकारी स्कूल में पढ़ता है और अपने पिता के साथ खेतों में काम भी करता है। यानी चार साल की उम्र में प्रिंस ने जिंदगी की जंग तो जीत ली थी, लेकिन अब भविष्य कर लड़ाई लड़ रहा है। प्रिंस और प्रिंस के परिवार से बड़े-बड़े दावे करने वाला प्रशासन व संस्थाए उसे भूल चुकी हैं।
प्रिंस के पिता रामचंद्र का कहना है कि प्रिंस के बोरवेल से निकलने के बाद लगभग एक करोड़ रूपये दिए जाने की घोषण की गई थी, लेकिन उनमें से सिर्फ सात लाख रूपये ही मिले। पांच लाख रूपये एक न्यूज चैनल और दो लाख रूपये प्रदेश सरकार ने दिए। परिवार ने रकम अपने कच्चे मकान को पक्का बनाने में खर्च कर दिए। साथ ही रामचंद्र को सरकार की ओर से उसे नौकरी न दिए जाने की बात से भी शिकायत है।
उसने बताया की घटना के वक्त उसे सरकारी नौकरी देने की बात कही गई थी लेकिन कुछ ही दिन बिते की सब लोग सब कुछ भूल गए।
प्रिंस के साथ 2006 में हुए हादसे के बारे में उसे कुछ भी याद नहीं है। उसके गांव वाले जब भी उसे उसके साथ हुए हादसे के बारे में बताते हैं तो प्रिंस ये सब सुनकर सहम सा जाता है। हादसे के कुछ ही दिनों में प्रिंस के माता पिता का तलाक भी हो गया था और उसकी मां उसे छोड़ कर चली गई थी। तब प्रिंस के पिता ने दूसरी शादी कर ली थी। हादसे के समय प्रिस की उम्र 4 वर्ष की थी लेकिन अब वह 12 साल का हो चुका है। वह गांव के ही एक सरकारी स्कूल के छठी कक्षा में पढ़ता है।