चीन के आगे हांगकांग में एक नई चुनौती आ खड़ी हुई है, क्योंकि वहां लोकतंत्र समर्थक आंदोलन जोर पकड़ने लगा है। अपनी आजादी की मांग के साथ लोग सड़कों पर उतरने लगे हैं। कल, दजर्नों नौजवान जुलूस की शक्ल में हांगकांग के सरकारी मुख्यालय में घुस गए, क्योंकि बीजिंग ने उनके शहर को पूरा लोकतंत्र सौंपने से इनकार कर दिया है।
लोकतंत्रकामी कार्यकर्ताओं के साथ छात्रों के ये समूह आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं। आने वाले दिनों में जमीनी हालात के बिगड़ने का अंदेशा है, क्योंकि आंदोलनकारियों ने अपने इस अभियान को और विस्तार देने की घोषणा कर दी है। छात्रों के इस ताजा प्रतिरोध की वजह चीन द्वारा पिछले माह की गई यह घोषणा है कि साल 2017 के चुनाव के उम्मीदवारों को एक कमिटी की जांच से गुजरना होगा।
इस घोषणा ने लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं को नाराज कर दिया। उनका कहना है कि यह कमिटी चीन के प्रति वफादार कारोबारियों और कानून-निर्माताओं से भरी हुई है। आलम यह है कि हजारों की संख्या में छात्रों ने 22 सितंबर से शुरू कक्षाओं का बहिष्कार कर दिया है और इस तरह वे चीन के ताजा निर्णय के प्रति अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं।
खुद को आंसू गैस से बचाने के लिए छिपाने की कोशिश करते प्रदर्शनकारी अधिकारियों के समक्ष ‘शर्म करो’ के नारे लगा रहे थे। इनमें से कई अधिकारियों ने गैस मास्क एवं अन्य सुरक्षा उपकरण पहन रखे थे। पिछली बार हांगकांग में आंसू गैस का प्रयोग वर्ष 2005 में किया गया था।
हांगकांग छात्र संघ के सचिव एलेक्स चाउ का कहना है कि हमें अपने आंदोलन को और ताकत देनी होगी, क्योंकि मुख्य कार्यकारी अधिकारी लुंग चुन यिंग ने उनकी मांगें ठुकरा दी हैं। बीजिंग में बैठे सत्ताधीश इन प्रदर्शनों को लेकर काफी बेचैन हैं और इसके बारे में कोई फैसला करने से पहले उन्हें काफी विचार-मंथन करना पड़ेगा।
दुनिया जानती है कि बीजिंग को ऐसे विरोध-प्रदर्शन पसंद नहीं हैं। तब तो और, जब वे लोकतंत्र के लिए हों। लेकिन यह हांगकांग है, यहां के कायदे कुछ अलग हैं। वहां पर थेन आनमेन जैसी कार्रवाई के बारे में कल्पना भी नहीं की जा सकती। हालांकि इसका मतलब यह कतई नहीं है कि चीन लोकतंत्र समर्थक आंदोलन को अनवरत काल तक बर्दाश्त करता रहेगा। इसलिए हांगकांग में लोकतंत्र के लिए आवाज बुलंद कर रहे लोगों के लिए आने वाले दिन काफी मुश्किल होंगे, उन्हें अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए पूरा धैर्य और उसके प्रति प्रतिबद्धता दिखानी होगी।
महानगर के 200 बस रूटों को रद्द कर दिया गया है। कुछ के रास्ते बदल दिए गए हैं। मोंग कोक में जाने का मुख्य मार्ग भी प्रदर्शनकारियों ने बंद कर दिया है। इस आंदोलन का रूप बहुत बड़ा है और स्कूली छात्रों से लेकर कॉलेज के छात्र भी इसमें शामिल हो गए हैं। सभी तबकों के लोगों के इसमें शामिल होने से चीनी अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए हैं, क्योंकि इस वित्तीय शहर में कभी ऐसा नहीं हुआ। कई जगहों पर पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े हैं। जबकि 26 लोगों को अस्पताल पहुंचाया गया है।
साल 1997 में जब चीन ने इस द्वीप को इंग्लैंड से लिया था तो उसने कहा था कि वह एक देश दो शासन प्रणाली पर कायम रहेगा. इसके तहत यहां का प्रशासन सीधे चीन के हाथों में नहीं है। शहर के प्रशासक अपने काम अपने विवेक से करते हैं, लेकिन अब चीन के इरादे बदलते जा रहे हैं। अब वह यहां के प्रशासन पर सीधे दखल देना चाहता है, जिसे स्थानीय लोग पसंद नहीं कर रहे हैं।