ऑनलाइन याचिका में हजारों ने किए हस्ताक्षर सोशल मीडिया पर वायरल
लोकतंत्र बचाने को अपील, इलेक्ट्राॅनिक वोटिंग मशीन को प्रतिबन्धित करने की मांग
उत्तर प्रदेश, कानपुर: इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन(ईवीएम) के खिलाफ अब जनता लमबन्द हो गई है। प्रतिबन्धित करने की मांग को लेकर याचिका पर सैकड़ों लोग अपनी सहमति के साथ आॅनलाईन हस्ताक्षर कर चुके हैं। उनका कहना है कि यदि चुनाव में ईवीएम पर उंगली उठाती है तो यह लोकतंत्र के लिए घातक है। इस लिए ईवीएम को प्रतिबन्धित किया जाना चाहिए और हाल ही में उत्तर प्रदेश सहित अन्य चार राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों को पुनः मतदान कराया जाना चाहिए।
दिल्ली के पत्रकार सत्येन्द्र मुरली की अगुवाई में ईवीएम पेटिशन पर हस्ताक्षर करने के लिए आॅनलाईन मुहिम छेड़ी गई है जिसपर हजारों लोगों ने अपनी सहमति के साथ हस्ताक्षर किए हैं।
ये है पेटिशन में
ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) को बैन करने की मांग एवं वोटिंग के लिए बैलेट पेपर प्रणाली को वापस लाने के लिए लोग लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं. इसके पीछे पर्याप्त कारण मौजूद हैं।
ईवीएम श्फ्री एंड फेयरश् नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने भी इसमें श्पेपर ट्रेलश् की व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने की बेहद सख्त़ आवश्यकता बताते हुए वीवीपीएटी (वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल) को ईवीएम से जोड़ने का आदेश दिया था। जैसे आपको एटीएम से पैसा निकालने के बाद पर्ची मिलती है वैसे ही, ताकि गड़बड़ी की शंका होने पर उसका फिजिकल वेरीफिकेशन किया जा सके।
यह लोकतंत्र को बचाने के लिए जरूरी है। लेकिन चुनाव आयोग इसे टालता रहा है। मनुस्ट्रीम मीडिया ने ईवीएम के विरूद्द संघर्ष को दबाने का ही काम किया है।
यूपी चुनाव को लेकर बहन मायावती ने ईवीएम में हेराफेरी का आरोप लगाया है. जो लोग जानते हैं कि हां, ईवीएम में हेराफेरी किया जाना संभव है, वे सभी मायावती जी के समर्थन में हैं और जांच की मांग कर रहे हैं।
अब सवाल है कि कैसे जांचेंगे?
कोई कागज तो है नहीं, जो फिजिकल वेरिफिकेशन किया जा सके. कागज होता तो पता चल जाता कि किस पर, कितना ठप्पा लगा है, दिख जाता, गिन लिया जाता। लेकिन ईवीएम में कैसे देखोगे? किस पर कितना बटन दबाया गया और वोट कहां गया, नहीं पता चल पाएगा।
यह श्फ्री और फेयरश् नहीं है, जिसका कि भारत का संविधान बात करता है। म्टड द्वारा चुनाव लोकतंत्र के पक्ष में नहीं है। पूरा का पूरा चुनाव भी मैनेज किया जा सकता है। चुनावों को मात्र दिखावा मत बनने दीजिए। व्यापारियों और नेताओं का इवेंट मत बनने दीजिए. लोकतंत्र के पक्ष में आइए।