नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले में पाकिस्तान का हाथ होने से जुड़े दस्तावेज आतंकवादी गतिविधियों के लिए वित्तपोषण पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था एफएटीएफ (FATF) को मुहैया कराए जाएंगे ताकि आतंकवाद से पड़ोसी देश के रिश्तों का पर्दाफाश कर उसे काली सूची में डालने की मांग की जाए। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि सुरक्षा एजेंसियां पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद की ओर से अंजाम दिए गए हमले और पड़ोसी देश द्वारा इस आतंकी संगठन को दी गई मदद को लेकर अब तक इकट्ठा किए गए साक्ष्य से दस्तावेज तैयार कर रही हैं।
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एक सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि यह जैश-ए-मोहम्मद के साथ पाकिस्तानी एजेंसियों के संबंध और उनकी ओर से आतंकवादी संगठन के वित्तपोषण पर एक दस्तावेज होगा। अतीत में जैश की ओर से अंजाम दिए गए हमलों का ब्योरा भी इस दस्तावेज में दिया जाएगा।
फ्रांस के पेरिस स्थित फिनांशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) को दस्तावेज के जरिए बताया जाएगा कि पाकिस्तानी एजेंसियां किस तरह जैश को धन मुहैया करा रही हैं। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि एफएटीएफ की अगली बैठक में भारत पाकिस्तान को कालीसूची में डालने के लिए दबाव बनाएगा ताकि पड़ोसी देश के खिलाफ कार्रवाई की जा सके।
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पेरिस में अगले हफ्ते FATF का महाधिवेशन और कार्य समूह की बैठक होंगी। FATFकी ओर से काली सूची में डालने का मतलब है कि संबंधित देश धनशोधन और आतंक के वित्तपोषण के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में ”असहयोगात्मक रवैया अपना रहा है।
यदि एफएटीएफ पाकिस्तान को काली सूची में डाल देता है तो इससे आईएमएफ, विश्व बैंक, यूरोपीय संघ जैसे बहुपक्षीय कर्जदाता उसकी ग्रेडिंग कम कर सकते हैं और मूडीज, एस एंड पी और फिच जैसी एजेंसियां उसकी रेटिंग कम कर सकती हैं। FATF ने जुलाई 2018 में पाकिस्तान को संदेह वाली ग्रे सूची में डाल दिया था।
FATF में अभी 35 सदस्य और दो क्षेत्रीय संगठन – यूरोपीय आयोग एवं खाड़ी सहयोग परिषद – हैं। उत्तर कोरिया और ईरान FATF की काली सूची में हैं।