यहाँ अपने भाषण में राहुल ने उद्योगपतियों की खुब सराहना की उन्होंने कहा कि दुनिया में देश को अलग पहचान दिलाने का श्रेय उद्योग जगत को ही जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि जब वह वर्ष 1991 में यूनिवर्सिटी गये थे तब कोई भी भारत को इतनी अच्छी तरह नहीं नहीं जानता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। इसके लिए आप लोग (उद्योगपतियों) धन्यवाद के पात्र हैं। लिखा हुआ भाषण पढ़ने के दौरान एक बार राहुल अटक भी गए। करीब 10 सेकंड तक पेज पलटने के बाद जब उन्होंने बोलना शुरू किया तो फिर वह गलत पेज पढ़ गए। शायद भाषण में कुछ ज्यादा बोल जाने के कारण घबरा गए होंगे। खैर इन बातो की परवाह न करते हुए राहुल ने अपने भाषण को जारी रखा।
राहुल ने भाषण के दौरान BJP पर निशाना साधते हुए कहा कि यूपीए के शासनकाल में सबको साथ लेकर चलने की कोशिश हुई इसलिए प्रगति भी हुई। उन्होंने कहा कि अलगाव की राजनीति बंद होनी चाहिए, इससे विकास प्रभावित होती है। पहली बार कॉर्पोरेट जगत से मुखातिब हुए राहुल ने कहा कि 4000 हजार विधायक और 600-700 सांसद मिलकर देश को चला रहे हैं। इन करीब 5000 लोगों को 200-300 लोग (पार्टी के लोग) चुनते हैं। हमें गांवों को साथ लेना होगा। उन्होंने कहा कि हमारी राजनीतिक व्यवस्था सांसदों और विधायकों के लिए बनी है।
राहुल ने राजनीति के साथ-साथ शिक्षा व्यवस्था में भी बदलाव की बात की। उन्होंने कहा कि हमारे यहां आज भी पुरानी चीजें ही पढ़ाई जा रही है। हमारी मुख्य समस्या बेरोजगारी नहीं है, बल्कि युवाओं को ट्रेंड करना हमारे लिए बड़ी समस्या है। राहुल ने कहा कि सरकार अकेले कुछ नहीं कर सकती है, इसके लिए उद्योग जगत को मदद के लिए आगे आना होगा।
कांग्रेस उपाध्यक्ष ने नीति निर्माण में सबसे निचले तबके को जोड़ने की पैरवी करते हुए कहा कि नीतियां बनाने में प्रधानों की कोई भूमिका नहीं है, जबकि जमीनी स्तर पर वे काम करते है। उन्होंने कहा कि गांव में सबसे अहम प्रधान है, लेकिन हमारी पार्टियों में उसके लिए जगह नहीं है। हमारी पार्टियां पंचायती राज व्यवस्था के लिए नहीं बनी हैं। इस व्यवस्था को बदलना होगा। व्यक्ति केंद्रित व्यवस्था को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि राहुल गांधी क्या सोचता है, जरूरी यह है कि लाखों लोग क्या सोचते हैं। राहुल गांधी ने कहा कि हम लोग सोचते हैं कि घोड़े पर बैठा कोई शख्स आएगा और सबकी समस्याएं दूर कर देगा। समस्याएं मैं से नहीं, हम से दूर होंगी।
राहुल गांधी ने अपने इस भाषण में देश की समस्याओं को उजागर तो कर दिया, उन्होंने देश के विकास और बदलाव की बाते भी खुब की लेकिन यह बदलाव कैसे आएगा राहुल इसका कोई ठोस उपाय नहीं बता पाए।