नई दिल्ली : उत्तर रेलवे में भ्रष्टाचार के दो मामले सामने आने के बाद रेलवे बोर्ड ने सभी जोनों को भ्रष्ट गतिविधियों में लिप्त कर्मचारियों के विरुद्ध तुरंत कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
रेलवे बोर्ड के सतर्कता विभाग की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि हाल में एक जोनल रेलवे में वेतन घोटाले के दो मामले पकड़े गए हैं जिनमें ऐसे कर्मचारियों को वेतन का भुगतान किया गया जिनका अस्तित्व ही नहीं था। ऐसे मामलों में और ज्यादा नुकसान तथा सबूतों के साथ छेड़छाड़ से बचने के लिए प्रशासनिक स्तर पर तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए तथा संबंधित कर्मचारी को स्थानांतरित अथवा निलंबित किया जाना चाहिए। ‘तत्काल कार्रवाई से यह संदेश जाएगा कि प्रशासन भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करेगा तथा दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई होगी।’
निर्देश में स्पष्ट किया गया है कि धोखाधड़ी के जिन मामलों में विभागीय जांच के दौरान स्पष्ट रूप से अनियमितता देखने में आई हो उनमें सतर्कता विभाग की आगे की जांच का इंतजार किए बगैर संबंधित कर्मचारी के विरुद्ध तुरंत आरोपपत्र दाखिल किया जाना चाहिए। यही नहीं, सतर्कता विभाग को सौंपे गए मामलों की जांच भी 15 दिनों के भीतर पूरी हो जानी चाहिए।
रेलवे बोर्ड ने ये निर्देश उत्तर रेलवे के दिल्ली डिवीजन में पिछले कुछ समय के दौरान उजागर हुए वेतन घोटाले के दो मामलों और उनकी जांच में विलंब को देखते हुए जारी किए है। इसमें एक मामला यातायात विभाग से और दूसरा केंद्रीय अस्पताल से संबंधित है। इसमें फर्जी प्वाइंट्समैन के नाम पर वेतन, यात्रा तथा ओवरटाइम भत्तों का भुगतान होता पाया गया था। पिछले कई वर्षों से चल रहे इस घोटाले के तहत अकेले 2016-17 के दौरान रेलवे को डेढ़ करोड़ रुपये का चूना लगा था।
इस मामले की विभागीय जांच के काफी समय बाद एक महिला कर्मचारी को निलंबित किया गया था। लेकिन लेखा विभाग के अधिकारी बच गए थे। सूत्रों के अनुसार अब सतर्कता विभाग की जांच में भी मामले को सही पाया गया है। इसलिए कई अन्य कर्मचारियों व अधिकारियों पर भी गाज गिर सकती है।
दूसरा मामला केंद्रीय अस्पताल का है। इसमें नौ फर्जी डॉक्टरों के नाम पर दूसरे कर्मचारियों को वेतन, भत्तों एवं एरियर का भुगतान प्राप्त करते हुए पाया गया है। इस मामले में लेखा विभाग की जांच के काफी दिन बाद सीनियर क्लर्क को निलंबित किया गया था। इन दोनो मामलों के संदर्भ में रेलवे बोर्ड पहले भी सभी जोनल रेलों को सतर्कता बरतने तथा कर्मचारियों के वेतन रिकार्ड की जांच कराने की ताकीद कर चुका है। अब सतर्कता जांच में सही पाए जाने के बाद उसने भ्रष्ट कर्मचारियों के विरुद्ध तत्काल कार्रवाई की जरूरत पर बल दिया है।
इससे पहले रेल मंत्रालय ऐसे कर्मचारियों के विरुद्ध देशव्यापी अभियान छेड़ चुका है जो लंबे अरसे से गैरहाजिर रहने के बावजूद पूरा वेतन उठा रहे थे। इस अभियान के तहत 13 हजार ऐसे कर्मचारियों की पहचान की गई थी जो बिना किसी ठोस वजह के महीनों से लेकर सालों से गैरहाजिर थे। इस मामले में अनुपस्थिति की सही वजह साबित न कर पाने वाले अनेक कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया था।