नई दिल्ली से सियालदाह तक जाने वाली राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन जैसे ही कानपुर स्टेशन पहुंची ट्रेन में सवार यात्रियों ने हंगामा शुरू कर दिया। देखते ही देखते वहा लोगो का मजमा लग गयाए किसी के समझ में नहीं आ रहा था, कि आखिर माजरा क्या है, हंगामा कर रहे यात्रिओ में से राकेश गोयल ने बताया कि उन्हें जो खाना ट्रेन के अन्दर परोसा गया, वो इंसानों के खाने लायक नहीं है। और देखते ही देखते कई यात्रिओ ने अपना खाना जो ट्रेन में परोसा गया था उसे प्लेटफोर्म पर फैंक दिया।
सियालदाह जा रही महिला यात्री पिंकी ने बताया कि एक तो हम लोगो को आधे घंटे लेट खाना दिया गया, और जब मेरे बेटे मयंक ने खाना खाने के लिए दाल और चावल खोली तो उसे ट्रेन में ही उलटी हो गयी, पिंकी के मुताबिक़ दाल में से बुरी तरह से स्मेल आ रही थी, चावल में कीड़े एसे पड़े थे मानो इलायची पड़ी होए और दही में फंफूदी लगा हुआ था, और ये सिर्फ पिंकी के खाने का हाल नहीं था, बल्कि उस डिब्बे लगभग सभी यात्रिओ के खाने का हाल था, फिर क्या कानपूर सेन्ट्रल पर यात्रिओ ने ट्रेन से उतर कर जमकर हंगामा किया। हंगामे के चलते ट्रेन करीब एक घंटे तक स्टेशन पर रुकी रही।
आक्रोशित यात्रिओ में से सुभाशिस के मुताबिक़ जब उन्होंने इसकी शिकायत करने के लिए कोच अटेंडेंट से कम्प्लेन बुक मांगी तो कोच अटेंडेंट ने कम्प्लें बुक देने में आना कानी करने लगे, जब यात्रिओ ने उस डिब्बे के टीटी को बुलाने के लिए कोच अटेंडेंट से कहा तो, उसने उनका नंबर नहीं होने की बात कह यात्रिओ का पारा सातवे आसमान पर पहुंचा दिया।
अब ज़रा आप भी देख लीजिये कानपुर सेन्ट्रल पर फैले इन खानों को, और ज़रा इस चावल को जरा गौर से देखिये कैसे इस चावल की शोभा कीड़े मकौड़े बढ़ा रहे है, अब आप ही सोचिये क्या ये खाना इंसानों के खाने लायक है, भारतीय रेल विभाग भले ही यात्रियों को अच्छी सुविधा देने के लाख वादे करे लेकिन इस घटना को देख भारतीय रेल के सारे वादों की पोल खोल कर रख दी है। भले ही रेल प्रशासन ने किराये में वृधि कर दी है लेकिन सुविधाओं में कोई वृधि नही की है ।
हंगामे की सुचना पर मौके पर पहुंचे जी आर पी और आर पी ऍफ़ के जवानो के साथ रेलवे के अधिकारियो ने किसी तरह आक्रोशित यात्रियों को समझा बुझाकर ट्रेन को आगे रवाना किया ।