अपने बड़बोलेपन और विवादित बयानों से अक्सर पार्टी की फजीहत करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी से BJP ने आखिरकार नाता तोड़ लिया है। चुनावी साल के दौरान पार्टी में अनुशासनहीनता के खिलाफ सख्त रवैये का संकेत देते हुए BJP ने जेठमनाली को प्राथमिकता सदस्यता से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है।
इसके साथ ही पार्टी ने व्हिप का उल्लंघन कर संसदीय समिति के लिए वोट नहीं करने के आरोप में अलग से कार्रवाई का संकेत देकर जेठमलानी की राज्यसभा की सदस्यता भी निरस्त करने की जमीन तैयार की दी है। BJP ने स्पष्ट कर दिया है कि केन्द्रीय संसदीय बोर्ड का यह फैसला अंतिम है। इस पर पुनर्विचार नहीं किया जाएगा।
गौरतलब है कि तत्कालीन BJP अध्यक्ष नितिन के दूसरे कार्यकाल का विरोध करने के बाद राम जेठमलानी को 26 नवंबर को कारण बताओं नोटिस जारी करते हुए पार्टी से निलंबित कर दिया गया था।
नोटिस के जवाब में स्पष्टीकरण देने के बजाय जेठमलानी ने पार्टी को और चिढ़ाया। इसके बाद भी BJP के फैसलों की निंदा करने से बाज नहीं आए। कभी CBI निदेशक पद पर रंजीत सिन्हा के चयन का विरोध करने पर पार्टी फैसले को चुनौती दी, तो कभी सदन में पार्टी के नेताओं पर निशाना साधा।
बेलगाम जेठमलानी ने हद तो तब कर दी जब पिछले दिनों हुई संसदीय बोर्ड की बैठक में घुसकर उन्होंने निलंबन के दौरान व्हिप जारी करने के पार्टी नेताओं के अधिकार पर सवाल उठा दिया। मंगलवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता अनंत कुमार ने पत्र लिखकर जेठमलानी को संसदीय बोर्ड की बैठक में लिए गए निष्कासन के फैसले की जानकारी दी।
पत्र में अनंत कुमार ने साफ कर दिया है कि पार्टी व्हिप का उल्लंघन कर सार्वजनिक उपक्रमों से जुड़े स्थायी समिति के चुनाव में वोट नहीं डालने पर उनके खिलाफ अलग से कार्रवाई हो सकती है।
जानाकारों की माने तो इस आधार पर जेठमलानी की राज्यसभा की सदस्यता भी जा सकती है।