नई दिल्ली : रामनाथ कोविंद देश के 14 वें राष्ट्रपति बन गये हैं। लेकिन, देश में दलित समुदाय से आने वाले दूसरे राष्ट्रपति हैं। इसके पहले के आर नारायणन दलित समुदाय से आने वाले पहले राष्ट्रपति बन चुके हैं। इस बार के चुनाव में दलित फैक्टर को लेकर खूब सियासत भी हुई। बीजेपी की तरफ से रामनााथ कोविंद के नाम को आगे करने के बाद कांग्रेस की अगुआई में विपक्षी दलों ने मीरा कुमार को आगे किया। पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार देश के भूतपूर्व उप प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम की पुत्री हैं। उन्हें मैदान में उतारकर कांग्रेस ने राष्ट्रपति चुनाव की लडाई को दलित बनाम दलित बना दिया। लेकिन, आखिरकार रामनाथ कोविंद की जीत हुई और वो देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंच गए हैं।
हालांकि ऐसा पहली बार हुआ है जब बीजेपी अपनी पसंद के किसी उम्मीदवार को राष्ट्रपति के साथ-साथ उपराष्ट्रपति पद पर भी बैठाने में सफल रही। संसद के मौजूदा समीकरण से वेंकैया नायडू के जीतने की पूरी संभावना है। बीजेपी राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव के बहाने इस बार समीकरण साधने की कोशिश में है। उत्तर भारत के रामनाथ कोविंद के राष्ट्रपति बनने के बाद बीजेपी ने दक्षिण भारत के बड़े चेहरे वेंकैया नायडू को उपराष्ट्रपति के उम्मीदवार के तौर पर आगे किया है। बीजेपी की कोशिश उत्तर से लेकर दक्षिण तक एक बेहतर संदेश देने की है।
ऐसा पहली बार हुआ है कि बीजेपी का कैडर रहा कोई शख्स देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन हुआ है। केंद्र की सत्ता में 2014 में आने के बाद बीजेपी का पलड़ा इस बार भारी रहा। लिहाजा बीजेपी की तरफ से अपनी पार्टी के सांसद रह चुके रामनाथ कोविंद के नाम को आगे बढ़ाया गया। बीजेपी किसी भी सूरत में इस बार यह मौका नहीं खोना चाहती थी। आरएसएस की भी इसी बात पर सहमति थी। हालाकि 2002 में भी बीजेपी जब केंद्र की सत्ता में थी तो उस वक्त भी बीजेपी की पसंद के वैज्ञानिक डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम राष्ट्रपति बने थे। लेकिन, उस वक्त एनडीए के पास पर्याप्त संख्या बल नहीं होने के कारण किसी बीजेपी बैकग्राउंड के व्यक्ति को देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर नहीं बैठाया जा सका था।
आपको बता दे कि राजग उम्मीदवार रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति चुनाव तो बड़ी आसानी से जीत गए, मगर सबसे बड़ी जीत का कीर्तिमान नहीं बना सके। भाजपा की कोशिश कोविंद के पक्ष में सबसे बड़ी जीत हासिल करने वाले वर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से भी ज्यादा वोट दिलाने की थी। इस क्रम में भाजपा ने तय मत से करीब तीन फीसदी ज्यादा मत हासिल करने में कामयाबी तो हासिल की, मगर नया कीर्तिमान नहीं बना पाई। गौरतलब है कि बीते राष्ट्रपति चुनाव में मुखर्जी को करीब 70 फीसदी (713763) मत मिले थे। जबकि इस चुनाव में कोविंद को 65.65 फीसदी (702044) मत मिले। जबकि इस चुनाव में पिछले चुनाव की तुलना में ज्यादा मतदान हुआ था।