कोयला क्षेत्र में सुधारों की दिशा में बड़ी पहल करते हुए सरकार ने निजी कंपनियों को खुद के इस्तेमाल के लिए आज कोयला खानों की ई-नीलामी और राज्यों तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को सीधे खान आवंटित करने के लिए अध्यादेश जारी करने की सिफारिश की। सरकार ने यह निर्णय 1993 के बाद आवंटित 214 कोयला खानों का आवंटन रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के पिछले माह लिए गए फैसले के मद्देनजर लिया है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल की आज शाम हुई बैठक के बाद वित्तमंत्री अरुण जेटली ने संवाददाताओं से कहा, ‘मंत्रिमंडल ने राष्ट्रपति से अध्यादेश जारी करने की सिफारिश की है ताकि विशेषकर कोयला ब्लाकों का आवंटन रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लंबित मुद्दों का समाधान किया जा सके।’
सरकार का निर्णय है कि केंद्र और राज्य सरकारों सहित सरकारी क्षेत्र की कोयला आवश्यकतों को पूरा किया जायेगा। एनटीपीसी और राज्य बिजली बोर्डों जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को कोयला खानों का आवंटन किया जाएगा।
वित्तमंत्री ने कहा, ‘जहां तक निजी क्षेत्र का सवाल है, सीमेंट, इस्पात और बिजली क्षेत्र में कोयले का वास्तविक रूप से उपयोग करने वाली आवेदनकर्ता इकाइयों के लिए कुछ खाने पूल में रखी जाएगी और इनके लिए ई नीलामी की जाएगी। ई-नीलामी में उपयुक्त संख्या में खानों को रखा जाएगा ताकि वास्तविक उपयोगकर्ताओं को खान मिल सकें।’ जेटली ने कहा नीलामी प्रक्रिया तीन से चार महीने में पूरी होगी और यह पूरी तरह पारदर्शी होगी। इस प्रक्रिया से प्राप्त आय पूरी तरह उन राज्यों को जाएगी, जिनमें ये खानें स्थित होंगी। उन्होंने कहा, ‘पिछली संप्रग सरकार वर्ष 2005 के बाद से जो यह पूरा झमेला छोड़कर गई है, उसे अगले चार महीने में पूरी तरह साफ कर दिया जायेगा।’
जेटली ने कहा कि हर साल 20 अरब डॉलर का कोयला आयात किया जा रहा है, इस उपाय के जरिये उसका घरेलू विकल्प उपलब्ध होगा। इस फैसले से झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ आदि राज्यों को सबसे ज्यादा फायदा होगा, जबकि मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश को भी इसका लाभ मिलेगा। वित्त मंत्री ने कहा, ‘इससे विशेषतौर पर पूर्वी राज्यों को काफी वित्तीय लाभ मिलेगा। इन्हीं राज्यों में ज्यादातर कोयला खानें स्थित हैं। लाखों श्रमिकों को रोजगार मिलेगा और कंपनियों के पास फंसी पड़ी बैंकों की पूंजी का फलदायी इस्तेमाल होगा।’
सरकार के इस कदम से कोयला खानों का राष्ट्रीयकरण समाप्त होने के सवाल पर जेटली ने तुरंत इनकार करते हुए कहा कि 1973 का मूल कोयला राष्ट्रीयकरण अधिनियम बरकरार रहेगा और कोल इंडिया लिमिटेड की आवश्यकताओं को पूरी तरह संरक्षण दिया जायेगा।