गौरतलब है कि, इसी साल मार्च में कुंडा के वलीपुर गांव में ग्राम प्रधान नन्हें यादव की हत्या के बाद हुए बवाल को रोकने गए सीओ जियाउल हक की हत्या कर दी गई थी। सीओ की पत्नी परवीन आजाद ने तत्कालीन जेल मंत्री एवं कुंडा के विधायक राजा भैया पर हत्या करवाने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया था। हत्या में नाम आने के बाद राजा भैया ने खुद को निर्दोष बताते हुए मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
गवर्नर हाउस में हुए शपथ ग्रहण समारोह में राजा भैया ने मंत्रिपद की शपथ ली। शपथ लेने के बाद राजा भैया ने मुलायम सिंह को धन्यवाद दिया। हत्या के आरोप के बारे में उन्होंने कहा कि उन्हें गलत आरोप लगाकर फंसाने की कोशिश की गई थी।
अखिलेश सरकार ने हत्याकांड की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने के आदेश दिए थे।सीबीआई ने जांच के बाद राजा भैया को क्लीन चिट दे दी। सीबीआई की क्लीन चिट के करीब तीन महीने बाद अब सपा नेतृत्व ने राजा भैया को फिर से कैबिनेट मंत्री बनाने का फैसला लिया है।
अखिलेश मंत्रिपरिषद का पिछला विस्तार 18 जुलाई को हुआ था। राजा भैया सहित अब अखिलेश मंत्रिपरिषद में 22 कैबिनेट मंत्रियों को लेकर कुल 59 मंत्री हो गये हैं। संवैधानिक व्यवस्था के तहत मंत्रिपरिषद में अभी एक और मंत्री को शामिल किये जाने की गुंजाइश बची हुई है।
उनसे जब यह सवाल किया गया कि कहीं आपको मंत्रिमण्डल में दोबारा शामिल किये जाने के पीछे मुजफ्फरनगर कांड के बाद क्षत्रिय नेताओं की गिरफ्तारी को लेकर सपा के प्रति उभरी नाराजगी दूर करने की कोशिश तो नहीं है। राजा भैया ने कहा, जहां तक मैं समझता हूं, सपा और पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव की कार्यशैली में जातिवाद जैसी कोई बात नहीं है।