यह घटना लगभग सुबह 10 बजे रॉकेट फटने से हुई थी। दरअसल, सेना ने रद्दी माल निलाम किया था। इसे कबाड़ काम करने वाले एक छोटू नाम के व्यापारी ने खरीदा। वह इसे सुबह सेना के इलाके से लेकर आया था। इसी कबाड़ में रॉकेट भी था। राजू लोहे का सामान समझकर इसपर हथौड़ा चलाने लगा । इससे अंदर भरे विस्फोटक पदार्थ सुलग गया और देखते ही देखते जोरदार धमाका हो गया। राजू के शरीर के चीथड़े उड़ गए। पैर, हाथ और बदन अलग-अलग जगह जा गिरा। पास में मौजूद रामनिवास भी धमाके की चपेट में आया। उसका भी यही हाल हुआ। करीब 20 मीटर की दूरी पर रामनिवास की मां थी। उसे बदन में लोहे के टुकड़े घुस गए। उसे पास के अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।
यह धमाका ताजमल से महज़ 3 km दूर हुआ है। धमाका इतना जोरदार था कि इसकी आवाज ताजमहल तक सुनाई पड़ी थी। सैंकड़ों लोग यहाँ मदद को पहुंचे। यहां का नजारा देखकर सबका दिल दहल उठा। पुलिस और सेना के जवान बचाव में लग गए। सेना की विशेष टीम बचे हुए कबाड़ का जायजा ले रही है।