अगड़ी जाति को सुशील मोदी से इस कदर नाराजगी है कि अगर उन्हें विकल्प के तौर पर रुडी का नाम पेश किया जाए तो सहमति बनने की संभावना अधिक हो सकती है।
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो चुकी है। नीतीश कुमार की नेतृत्व वाली महागठबंधन का सीधा मुकाबला एनडीए से है। भाजपा महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड की तरह नरेंद्र मोदी का चेहरा आगे करके चुनाव लड़ने में ही भलाई समझ रही है। हालिया दिल्ली चुनाव में किरण बेदी को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर पेश करने जैसी गलती बिहार में शायद ही दोहराया जाए। ऐसे में अगर बिहार में भाजपा विधानसभा चुनाव में सत्ता में आती है तो महाराष्ट्र, हरियाणा व झारखंड वाली परिपाटी को ही दुहरायी जा सकती है। भाजपा के ताजा राजनीतिक हालात में कई दावेदार हैं जो कि अगले फडणवीस या रघुवर हो सकते हैं। जिसमें एक नाम भाजपा के राजीव प्रताप रुडी का भी आता है।
भाजपा के अंदरुणी हालात को अगर नजर किया जाए तो अगड़ों का एक बड़ा खेमा है जो सुशील मोदी का सर्वथा विरोध करती आई है। उन्हें वह इस कदर नापसंद है कि उनके अलावा किसी के नाम पर भी सहमत हो सकते हैं। ऐसे में राजीव प्रताप रुडी शायद सटीक विकल्प के तौर पर पेश किए जा सकते हैं। अगर आपके जेहन में रुडी का नाम लेते ही राजपुतों के संख्या की बात आती है ऐसे में एक बात ध्यान रखना होगा। मोदी के केंद्र में आते ही बीजेपी में एक नया ट्रेंड स्थापित हो चुका है जिसके मुताबिक ब्राह्मणों के लिए प्रतिकुल माने जाने वाले राज्य महाराष्ट्र में एक ब्राह्मण को मुख्यमंत्री बनया गया ठीक वही हालात हरियाणा में भी था जहां पंजाबियों को राजनीतिक रुप से कमजोर समझा जाता था लेकिन एक पंजाबी मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाया गया। तो ऐसे में सुशील मोदी के बदले रुडी के नाम की चर्चा करना बेमानी नहीं होगी। सुशील मोदी के प्रति नाराजगी को देखते हुए अगर रुडी का नाम पेश किया जाए तो सहमति बनने की संभावना अधिक हो सकती है।
रुडी वाजपेयी के साथ-साथ मोदी के भी चहेते माने जाते हैं। वाजपेयी सरकार में नागरिक उड्डयन, वाणिज्य राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा मौजुदा सरकार में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहते हुए स्कील डेवलपमेंट विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह विभाग प्रधानमंत्री के ड्रीम “मेक इन इंडिया” को मजबूत करने में अहम भुमिका निभा सकती है। मंत्री रहते हुए रुडी के पास एक कुशल शासकीय अनुभव है जो कि उनके मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को और मजबूत करती है।महाराष्ट्र चुनाव प्रभारी तौर पर रुडी ने संगठन में अपना कौशल सिद्ध कर चुके हैं। भाजपा के पुराने साथी शिवसेना से चुनाव पूर्व गठबंधन तोड़ने के बावजूद भाजपा वहां सरकार बनाने में सफल रही। इतना ही नहीं रुडी बिहार के राजनीति के पुराने खिलाड़ी के पत्नी व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को सारण सीट से 2014 के लोकसभा चुनाव में मात देकर लोकसभा पहुंचे हैं। इससे पहले रुडी 1990 व 1999 लोकसभा और 2010 मे राज्यसभा सदस्य चुने जा चुके हैं।
प्रधानमंत्री ने मुजफ्फरपुर की रैली में रुडी को नए उर्जावान मंत्री का दर्जा देते हुए उनके मंत्रालय के कामकाज की तारीफ और भविष्य में देश की विकास में उनके विभाग की सहभागिता की बात कही। कामर्शियल पायलट रुडी से नए व आधुनिक सोच के साथ बिहार को नए आयम पर पहुंचाने की उम्मीद रखना बेमानी नहीं होगा। बिहार को कैंसर की तरह जकर चुके जाति के राजनीति से भी मुक्ति दिलाने की आवश्यक्ता है तभी जाकर राज्य विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ सकता है। राज्य को आज नए वीजन रखने वाले के नेतृत्व की आवश्यक्ता है। ऐसे में राजीव प्रताप रुडी भाजपा में बेहतर विकल्प के तौर पर उभर सकते हैं।