नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने विदेश सचिव के पद से सुजाता सिंह की छुट्टी कर दी है। उनके कार्यकाल में छह महीनों का वक्त बाकी था। उनकी जगह डॉ. एस जयशंकर को नया विदेश सचिव बनाया गया है।
जयशंकर अमेरिका में भारत के राजदूत थे। इससे पहले वह चीन में भी भारत के राजदूत रह चुके हैं। जयशंकर ने अमेरिका के साथ एटमी डील का रास्ता साफ करने और ओबामा को गणतंत्र दिवस पर मेहमान बनाने में अहम भूमिका निभाई थी।
वहीं सुजाता सिंह के कार्यकाल में करीब आठ माह का समय बचा था, लेकिन उसमें अचानक कटौती कर दी गई। सुजाता सिंह का दो वर्ष का कार्यकाल इस वर्ष अगस्त में समाप्त होना था। सुजाता सिंह के कार्यकाल में कटौती के साथ ही सरकार ने तत्काल प्रभाव से जयशंकर को इस पद पर नियुक्त कर भारतीय कूटनीति में अहम बदलाव का संकेत दे दिया है। वैसे सुजाता सिंह को इसके बदले कोई और अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। प्रशासनिक हलकों में उन्हें केंद्रीय सूचना आयुक्त बनाए जाने की चर्चा है।
देर रात की गई आधिकारिक घोषणा के अनुसार, भारतीय विदेश सेवा की 1976 बैच की अधिकारी सुजाता सिंह के बतौर विदेश सचिव कार्यकाल में तुरंत प्रभाव से कटौती कर दी गई। घोषणा में कहा गया कि 1977 बैच के आईएफएस एस जयशंकर की नियुक्ति एफआर 56 (डी) के प्रावधानों के अनुसार, सुजाता सिंह के स्थान पर, पदभार ग्रहण करने की तारीख से दो साल के लिए या अगले आदेश तक, जो भी पहले होगा, उसके लिए प्रभावी होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की नियुक्ति संबंधी समिति की बैठक में अचानक से यह घोषणा की गई। माना जा रहा है कि मोदी की सफल अमेरिका यात्रा व ओबामा को गणतंत्र दिवस के अतिथि के तौर पर भारत लाने के पीछे जयशंकर की अहम भूमिका थी। असैन्य परमाणु समझौते को लेकर भारत का जो दल अमेरिका से बात कर रहा था, जयशंकर उसके भी सदस्य थे। माना जा रहा है कि उनकी इन उपलब्धियों से प्रभावित होकर मोदी सरकार ने उन्हें नया विदेश सचिव बनाने का फैसला लिया।