क्रिकेट जगत के मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर का मानना है कि चयनकर्ताओं को राष्ट्रीय टीम चुनते समय सिर्फ खिलाड़ियों के आंकड़ों पर ही ध्यान नहीं देना चाहिए, जब चयन की बात आती हो तो खिलाड़ियों का विश्लेषण किया जाना चाहिए। बशर्ते की खिलाड़ी कुछ मैचों में असफल रहा हो, चयनकर्ताओं विचार करना चाहिए कि क्या उस खिलाड़ी में दबाव सहने एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन करने की क्षमता है।
कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ के प्लेटिनम जुबली समारोह के दौरान कहा, चयन सिर्फ स्कोरबुक देखने से जुड़ा नहीं होना चाहिए। चयनकर्ता ऐसे खिलाड़ियों को चुन सकता है, जिसने काफी अधिक रन बनाए हो, लेकिन यह काम नहीं करेगा। मैंने ऐसे खिलाड़ी देखे हैं, जो घरेलू स्तर पर बेजोड़ थे, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उतना अच्छा प्ररदर्शन नहीं कर पाए।
उन्होंने कहा चयन के समय खिलाड़ियों का आकलन करना होता है। अगर वह कुछ मैचों में विफल भी हो जाए तो भी यह देखने की आवश्यकता है कि क्या उसमें दबाव झेलने की क्षमता है और क्या वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में प्रदर्शन कर सकता है।
तेंदुलकर ने कहा कि आलोचना का सामना करने वाले टी-20 फॉरमेट सहित क्रिकेट में आए अन्य बदलावों ने खेल को और अधिक रोमांचक बना दिया है और टेस्ट मैचों में अधिक नतीजे हासिल करने में सफलता मिली है। तेंदुलकर के मुताबिक़ क्रिकेट एकमात्र खेल है जिसमें तीन फॉरमेट हैं। यह और अधिक रोमांचक होता जा रहा है, खिलाड़ियों के लिए ही नहीं बल्कि दर्शकों के लिए भी।
तेंदुलकर के मुताबिक, इसमें कलात्मकता है और अब और नतीजे हासिल किए जा रहे हैं। बल्लेबाज जोखिम उठाने को तैयार हैं। पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने कहा कि टी-20 का वनडे और टेस्ट क्रिकेट पर भी असर पड़ा है, क्योंकि खिलाड़ी आक्रामक हो गए हैं और इसके अलावा अब अधिक नतीजे मिल रहे हैं।
वहीँ क्रिकेट दिग्गजों ने कहा है कि चयनकर्ताओं को युवा खिलाड़ियों का चयन करते समय उनके रिकॉर्ड की बजाय उनकी योग्यता और दबाव सहन करने की क्षमता को विशेष तौर पर ध्यान में रखना चाहिए।
इस अवसर पर उपस्थित द्रविड़ ने कहा कि युवा खिलाड़ियों को अपने सीनियर खिलाड़ियों का अवलोकन करना चाहिए तथा सीखने की ललक ही युवा खिलाड़ियों को घरेलू क्रिकेट से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के अंतर को पाटने में मददगार हो सकती है।