एक तरफ एम्स को पिछे छोड़ देश के सबसे बड़े और अच्छे अस्पताज के रूप में विकसित करने की केंद्र सरकार की कोशिशों के बीच सफदरजंग अस्पताल में अवैध रूप से बच्चों पर दवा परीक्षण करने का मामला सामने आया है। राष्ट्री मानवाधिकार आयोग (NHRC) के नोटिस पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा कराई गई जांच में इसका खुलासा हुआ है।
मंत्रालय की ओर से ड्रग्य कंट्रोलर जनरल द्वारा गठित जांच कमंटी ने पाया कि इस प्रतिष्ठित अस्पताल में बच्चों पर किए गए दवा परीक्षण के दौरान दो मामलों में बच्चों के माता-पिता या अभिभावक से सहमति पत्र पर हस्ताक्षण नहीं कराए गए। साथ ही उन्हें परीक्षण से बच्चों पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में भी अंधरे में रखा गष। 44 मामलों में गवाहों या सहायक परीक्षक डॉक्टरों ने परीक्षण से पहले सहमति पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए।
सफदरजंग अस्पताल में 440 बच्चों पर दवा परीक्षण की जांच की गई। इनमें सामने आया कि 13 सहमति पत्रों पर बच्चों के अभिभावकों से अंगूठा तो लगवाया गया, लेकिन गवाहों से हस्ताक्षर नहीं कराए गए। जाहिर है कि ये अभिभावक पढ़े-लिखें नहीं थे। ऐसे में नियमानुसार यह जरूरी है कि अभिभावकों को दवा परीक्षण के संभावित दुष्परिणामों की जानकारी दी जाए। साथ ही गवाह यह तस्दीक करे कि अंगूठा लगाने वाले व्यक्ति को उक्त जानकारी दी गई है। लेकिन 13 सहमति पत्रों पर गवाहों के हस्ताक्षण नहीं होने से साफ है कि इन अभिभावकों को परीक्षण के परिणामों के बारे में बताया ही नहीं गया। साथ ही 31 सहमति पत्रों पर दवा का परीक्षण करने वाले सहायक परीक्षकों के हस्ताक्षण नहीं थे।
बिते दिनों दिल्ली के अस्पतालों में बच्चों पर हो रहे अवाओं के क्लीनिकल ट्रायल के संबंध में NHRC में शिकायत की गई थी। सफदरजंग के साथ – साथ और भी अस्पताल है जो इस अवैध कार्य में शामिल हैं। यह जानकारी सूचना के अधिकार (RTI) से मिली है। इसमें 3 अस्पताल है सफदरजंग, कलावती सरण व लोकनायक अस्पाताल में 3579 बच्चों पर दवाओं के क्लीनिकल परीक्षण हुए है। इनमें सफदरजंग अस्पताल में सबसे ज्यादा 2056, कलावती सरण में 1023 व लोकनायक अस्पताल में 400 बच्चों पर परीक्षण हुआ। शिकायतकर्ता का आरोप है कि यी परीक्षण बच्चों के माता-पिता या अभिभावका की सहमति के बगैर किए गए है।
इसके बाद NHRC ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को नोटिस जारी किया था। हाल ही में मिले NHRC की ओर से शिकायकर्ता को भेजे जवाब में कहा गया है कि मामले पर संज्ञान लेते हुए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ने तीन विशेषज्ञों की एक जांच कमेटी गठित की। कमेटभ् में केन्द्र व राज्य ड्रग्स कंट्रोल विभाग के अधिकारियों को शामिल किया गया था। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अस्पतालों में बच्चों के माता-पिता या अभिभावक की सहमति से दवाओं का परीक्षण किया गया।
हालांकि कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि सफदरजंग अस्पताल में अनियमितता सामने आई है। साथ ही अपने जवाब में NHRC ने कहा है क मंत्रालय ने आश्वासन दिया है कि ड्रग्स कंट्रोल जनरल इस तरह के क्लीनिकल परीक्षण रोकने के लिए कदम उठा रहे हैं।