टीम की बैंक गारंटी जब्त करने के उसके फैसले के कारण यह कदम उठाया।
सहारा ग्रुप ने भारतीय क्रिकेट टीम के प्रायोजन से हटने के संदर्भ में यह स्पष्ट किया है कि वह खिलाडि़यों के हितों को देखते हुए तय अवधि यानी दिसंबर, 2013 तक इसे बरकरार रखेगा। सहारा ग्रुप ने कहा, भारतीय क्रिकेट टीम के प्रायोजन से आज से ही हटने का इरादा था, लेकिन अगर हम ऐसा करते तो खिलाडि़यों के हितों को नुकसान पहुंचता। हमने BCCI को जनवरी, 2014 से नया प्रायोजन तलाशने को कह दिया है, क्योंकि हम दिसंबर, 2013 तक ही राष्ट्रीय टीम का प्रायोजन जारी रखेंगे, जो मौजूदा करार समाप्त होने की तारीख है।
सहारा ने कहा कि वह BCCI के रवैये से निराश है और लीग से दोबारा नहीं जुड़ेगा। सहारा ग्रुप का कहना है कि 2010 में सहारा ने 94 मैचों के राजस्व आंकड़ों के आधार पर IPL फ्रेंचाइजी के लिए 1700 करोड़ की बोली लगाई थी। BCCI ने चतुराई दिखाते हुए मीडिया में 94 मैचों का आंकड़ा रखा जिससे बड़ी राशि मिले, लेकिन हमें सिर्फ 64 मैच ही मिले। सहारा ने दावा किसा है कि BCCI ने मध्यस्थता और फ्रेंचाइजी फीस कम करने के उसके आग्रह को लगातार अनसुना किया है। उसके अनुसार ’हमने BCCI से बोली की राशि में उसी अनुपात में कमी करने को कहा जिससे IPL प्रस्ताव व्यावहारिक बने हमने इस भरोसे के साथ इंतजार किया कि इतनी बड़ी खेल संस्था में खेल भावना होगी।
उनका कहना है कि जून, 2011 से लगातार BCCI से मध्यस्थता का आग्रह करते रहे, लेकिन BCCI की चिंता सिर्फ पैसा था, फ्रेंचाइजी के हित नहीं। इसलिए हम BCCI के कानों में अपनी आवाज नहीं पहुंचा पाए। हमने फरवरी, 2012 में भी हटने का फैसला किया था, लेकिन BCCI ने समाधान के लिए हमसे संपर्क किया और IPL से नहीं हटने का आग्रह किया।
सहारा ग्रुप के मुताबिक फरवरी, 2012 में BCCI अध्यक्ष सहित बोर्ड के आला अधिकारियों से चर्चा के बाद हमने जो संयुक्त बयान जारी किया था उसमें विशेष तौर पर तुरंत मध्यस्थ की नियुक्ति के साथ मध्यस्थता प्रक्रिया शुरू करने का जिक्र था। वैसे यह पहली बार नहीं है जब BCCI ने किसी फ्रेंचाइजी की बैंक गारंटी जब्त की हो। इसके पहले वह केरल की IPL टीम कोच्चि टस्कर्स और हैदराबाद की डेक्कन चार्जर्स की बैंक गारंटी जब्त कर चुका है।