नई दिल्ली :सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप को बड़ा झटका देते हुए 40 कंपनियों के खाते और संपत्ति जब्त करने के आदेश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में आम्रपाली ग्रुप की कंपनियों के 2008 के बाद से तमाम खातों में हुए लेन देन की जानकारी मांगी है और कंपनी के फंड डायवर्जन को गंभीरता से लिया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ग्रुप की सभी कंपनियों के निदेशकों के खाते भी जब्त करने के आदेश दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने निदेशकों की निजी सपंत्ति भी अटैच करने के आदेश दिए है। अदालत ने आम्रपाली ग्रुप पर आदेशों को न मानने और गंदा खेल खेलने के लिए फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अदालत ने अपने बयान में कहा कि वो हमारे सब्र का इम्तिहान न लें।
सर्वोंच्च अदालत ने एनबीसीसी के चेयरमैन और शहरी विकास मंत्रालय के सचिव को भी सुनवाई के दौरान उपस्थिति रहने के लिए कहा है। आम्रपाली ग्रुप ने कोर्ट में एनबीसीसी से प्रोजेक्ट्स पूरा कराने की दलील दी थी। कोर्ट ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि जब पूरा मामला कोर्ट में विचाराधीन है तो फिर आम्रपाली ग्रुप कैसे एनबीसीसी के साथ बात कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप को साफतौर से धोखाधड़ी करने का दोषी करार दिया है। अदालत ने सुनवाई के दौरान ग्रुप की तमाम कंपनियों के चार्टेड एकाउंटेंट्स को भी पेश होने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि जब एनबीसीसी इस मामले में कोर्ट के समानांतर ही काम कर रहा है तो उसे इस मामले की पूरी जानकारी होने की बात कोर्ट बतानी चाहिए थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोर्ट के विस्तृत आदेश के बावजूद एनबीसीसी ने किस आधार पर प्रोजेक्ट पूरा करने का बीड़ा उठा लिया। अगर एनबीसीसी को इस तमाम मामले की जानकारी थी तो फिर ये अदालत की अवमानना का मामला बनता है। कोर्ट ने कहा है कि पूरा सिस्टम आम्रपाली ने मैनेज किया हुआ है और वो प्रोजेक्ट पूरा करने की मंशा नहीं रखते हैं।