सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली बेंच ने वकील एमएल शर्मा की यह याचिका खारिज कर दी। वकील एमएल शर्मा ने दलील दी थी कि आईएएस दुर्गा शक्ति सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन कर रही थी।
याचिका में दुर्गा के निलंबन को पक्षपातपूर्णए असंवैधानिक और नाजायज बताते हुए कहा गया था कि युवा आईएएस अधिकारी को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने का खामियाजा भुगतना पड़ा है। याचिका में उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार दोनों को प्रतिवादी बनाया गया था।
कोर्ट का कहना है कि दुर्गा शक्ति इस बात के लिए सक्षम हैं कि वह अपनी बात सही मंच पर रख सकें, लिहाजा इस तरह के मामले में लोकहित याचिका का मतलब नहीं बनता। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर दुर्गा शक्ति खुद कोर्ट आती हैं, तो विचार किया जा सकता है कि उस पर सुनवाई हो या नहीं।
गौरतलब है कि यूपी सरकार ने मस्जिद की दीवार गिराने का आदेश देने का आरोप में दुर्गा को निलंबित कर दिया था। यह दीवार अवैध रूप से बनाई गई थी। बाद की रिपोर्टों में यह दावा भी किया गया कि दीवार दुर्गा ने नहीं, बल्कि खुद गांव वालों ने अपनी मर्जी से गिराई।