SC का बड़ा फैसला- चुनी हुई सरकार चलाएगी दिल्ली, कानून बनाना सरकार का अधिकार

नई दिल्ली : केजरीवाल और उपराज्यपाल में हमेशा दिल्ली के बॉस बनने को लेकर ठनती रहती है, जबसे केजरीवाल सत्ता में आए हैं, तभी से ये मतभेद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है, मामले पर आज SC ने अपना फैसला सुनाया है।

दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और उपराज्यपाल के बीच काफी लंबे समय से चल रही जंग के बीच आज सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उपराज्यपाल दिल्ली में फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं, एलजी को कैबिनेट की सलाह के अनुसार ही काम करना होगा। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना मुमकिन नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ है कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार ही राज्य को चलाने के लिए जिम्मेदार है. फैसले के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी ट्वीट कर खुशी जता दी है, उन्होंने कहा है कि दिल्ली में लोकतंत्र की जीत हुई है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने टिप्पणी करते हुए कहा कि उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहिए। पुलिस, जमीन और पब्लिक ऑर्डर के अलावा दिल्ली विधानसभा कोई भी कानून बना सकती है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ है कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार ही राज्य को चलाने के लिए जिम्मेदार है. फैसले के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी ट्वीट कर खुशी जता दी है, उन्होंने कहा है कि दिल्ली में लोकतंत्र की जीत हुई है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने टिप्पणी करते हुए कहा कि उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहिए। पुलिस, जमीन और पब्लिक ऑर्डर के अलावा दिल्ली विधानसभा कोई भी कानून बना सकती है।

पांच जजों की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि- उप राज्यपाल को स्वतंत्र अधिकार नहीं है। दिल्ली कैबिनेट की सलाह से काम करें एलजी, केंद्र- राज्यों को रिश्ते सौहार्दपूर्ण हों, साथ ही CJI ने कहा कि दिल्ली की स्थिति बाकी राज्यों से अलग है। और अराजकता के लिए कोई जगह नहीं है। LG दिल्ली सरकार के साथ मिलकर काम करें।

चूंकि दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल को लेकर SC में कुल 11 याचिकाएं दाखिल की गई हैं। 6 दिसंबर 2017 को मामले में पांच जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुरक्षित रखा था। पांच जजों की संविधान पीठ में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं।

दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के 4 अगस्त, 2016 के दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उपराज्यपाल को प्रशासनिक प्रमुख बताते हुए कहा गया था कि वे मंत्रिमंडल की सलाह और मदद के लिए बाध्य नहीं हैं।

जानकारी के लिए बता दें कि सुप्रीम कोर्ट संविधान के अनुच्छेद 239AA के तहत दिल्ली को दिए गए विशेष दर्जे की व्याख्या करेगा। संविधान के आर्टिकल 239AA के मुताबिक दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश होगा, जिसकी अपनी विधानसभा और मुख्यमंत्री होंगे। दिल्ली के प्रशासक उप राज्यपाल होंगे जो राष्ट्रपति की ओर से काम करेंगे।