भारत में घर परिवारों में रसोई और गृहिणि दोनों का बड़ा महत्वपूर्ण स्थान है। अच्छी और सुघड़ गृहिणी के हाथों बनी रसोई का आनंद स्वर्ग के आनंद के समान होता है। भारतीय विद्वानों ने आसुर्वेद की मदद से रसोईघर में प्रयुक्त होने वाले मसालों का स्वाद के साथ-साथ दिव्य-गुणों से भी भरपूर किया है। तभी तो पूरा
विश्व इंडियन-फूड और इसके स्वाद को बढ़ाते हैं वही अपने औषधीय गुणों के कारण हमारे स्वास्थ्य को भी दुरस्त रखते हैं।
आज भी शायद अनेकों लोगों को तो ये पता ही नहीं कि जीरे का छोंक भोजन को सुपाच्य, अलवायन भोजन के बादीपन और गैस, हल्दी, हड्डियों और त्वचा को, इलायची दाल चीनी, सिरदर्द की, लौंग दांत दर्द, घी, नेत्रों और मस्तिष्क के लिए रामबाण औषधी है।
दादी-नानी के जमाने से चले आ रहे घरेलू नुस्खों के द्वारा छोटी-मोटी बिमारियों का उपचार अनावश्यक ऐलोपैथिक दवाईयों के साइट-इफेक्टस से हमें बचाकर रखते हैं। स्वास्थ्य संबंधी छोटी-मोटी समस्याओं का निदान हमारी रसोईघर में ही होता है यदि हर छोटी-छोटी बिमारी के लिए दवाईयों का प्रयोग न करके रसोईघर के भंडारण से ही किया जाये तो हम यथाशीघ्र लाभ तो प्राप्त करेंगे ही साथ ही अनेक प्रकार के झमेलों से भी बच जायेंगे।
हल्दी– हल्दी का प्रत्येक रसोईघर में प्रमुख स्थान होता है। खाना बनाते समय, सब्जी काटने समय अक्सर या तो हाथ कट जाता है या जल जाता है तो कहीं भागने कर जरूरत नहीं बहते खून पर चुटकी भर हल्दी डाल दीजिए, खून तुरंत रूक जायेगा, जले हुए पर सरसों के तेल में हल्दी का लेप करके लगा दे, राहत मिलेगी। यदि कहीं गुम चोट लग जाये तो तुरंत गतम दूध के साथ रागी को 1/2 चम्मच हल्दी दे दीजिए दर्द में आराम मिलेगा।
एक चम्मच सरसों के तेल में चुटकी भर हल्दी और नमक मिलाकर दातों को मालिस करने से दांतका दर्द तो ठीक होता ही है साथ ही रोगप्रतिरोधक क्षमता से भरपूर होने के कारण हल्दी दांतों में मौजूद कीड़ों का भी सफाया करती है।
अजवायन– अजवायन की सुगंध भूख जगाने और भूख बढ़ाने दोनों का काम करती है। बदहज़मी के शिकार लोगों को गरम पानी के साथ अजवायन की फंकी बहुत लाभ देती है। कब्ज तथा पेटदर्द में भी अजवायन है।
गोभी के पराठों व भिंड्डी की सब्जी में यदि अजवायन का प्रयोग किया जाये तो एक ओर स्वाद तो बढ़ता ही है दूसरी ओर भिंड्डी लिसलिसा नहीं बनती। अजवायन को यदि काले नमक के साथ सेवन करें तो गैस कभी नहीं होती। घुटनों के दर्द में भी अजवायन उबाल कर इसके पानी की भाप से घुटनों का सेंक बहुत फायदेमंद होता है।
इलायची-इलायची अपनी सुगंध से ही व्यक्ति को स्वस्थ कर देती है। इलायची का सेवन भी अनेक शारीरिक व्याधियों में लाभकारी है। मुँह में दर्गंध रहती है, तो इलायची चबाने से दुर्गंध, सुगंध में बदल जाती है। सिरदर्द है एक में कप दूध में चुटकी भर पिसी इलाइची डालकर पीने से सिरदर्द समाप्त हो जाता है। यही नहीं जी मिचलाने जैसी स्थिति में भी इलायची बहुत कारगर है। खासतौर से जिन लोगों को सफर में उल्टी आती है, यदि वो रास्ते में इलायजी का सेवन करें तो उल्अी से बचा जा सकता है। मिठाईयों में भी इलायची का प्रयोग मिठाई की गुणवत्ता को बढ़ा देता है। सर्दी जुकाम में इलायची और अदरक की चाय रामबाण है।
अदरक-अदरक औषधिय गुणों का भंडार है। बात चाहे जोड़ों के दर्द की हो या सिरदर्द की, गठिया की हो, या फिर हाजमें की, अदरक में सबका इलाज है। कड़ाके की ठंड और सर्दी जुकाम दोनों वश में करती है-अदरक। अदरक की चाय, सर्दी जुकाम में तुरंत राहत देने क साथ-साथ सर्दी के दुष्प्रभाव से भी बचाती है। गठिया रोग होने पर यदि अदरक को चूर्ण के रूप में लिया जाये तो बहुत लाभ होता है। जोड़ों के दर्द, पेट दर्द में भी अदरक लाभ पहुंचाता है। खांसी में यदि शहद के साथ अदरक मिलाकर दिया जाये, तो खांसी भी ठीक हो जाती है।
अदरक के अलावा लौंग, जीरा, आंवला, काला नमक सौंफ मुलैठी, शहद आदि भारतीय मसालों की शान है इनमे। स्वाद और स्वास्थ्य दोनों की गुणवत्ता मौजूद है।