भाजपा को तीन -तीन विधानसभा चुनावों में मात देकर सूबे में लगातार डेढ़ दशक तक कांग्रेसी हुकूमत चलाने वाली पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के अचानक भाजपा के समर्थन में खड़े हो जाने से दिल्ली में सियासी तूफान खड़ा हो गया है।
दीक्षित ने कहा कि चुनी हुई सरकारें हमेंशा अच्छी होती हैं और दिल्ली में यदि भाजपा सरकार बना लेती है तो यह अच्छी बात है। उनके इस बयान का जहां भाजपा ने स्वागत किया है, वहीं उनकी पार्टी कांग्रेस उनके बयान से सदमे में हैं।
पार्टी ने दीक्षित के बयान को उनका निजी विचार करार देते हुए साफ किया है कि कांग्रेस दिल्ली में विधानसभा चुनाव चाहती है। कांग्रेस नेताओं ने यह भी कहा कि यदि सदन में बहुमत साबित करने की नौबत आई तो कांग्रेस के विधायक भाजपा के खिलाफ मतदान करेंगे। पार्टी में दीक्षित को बाहर करने मांग भी उठने लगी है।
दीक्षित ने बृहस्पतिवार को कहा कि लोकतंत्र में चुनी हुई सरकारें हमेंशा बेहतर होती हैं क्योंकि पे जनता का प्रतिनिधित्व करती हैं। यदि भाजपा दिल्ली में सरकार बनाने की स्थिति में है तो अच्छी बात है। जहां तक मुझे समझ आता है, किसी भी दल का कोई विधायक चुनाव नहीं चाहता। लोग भी कह रहे हैं कि विधायक चुनाव नहीं बल्कि सरकार का गठन चाहते हैं। दीक्षित ने कहा कि उन्हें नहीं पता सरकार कैसे बनेगी, अल्पमत नेता पर लगे खरीद-फरोख्त के आरोप पर उनका कहना था कि ऐसे आरोप तो लगते रहते हैं।
हालांकि, कांगे्रेस ने तुरंत शीला दीक्षित के बयान से खुद को अलग कर लिया। प्रदेश के मुख्य प्रवक्ता मुकेश शर्मा ने कहा कि यह बयान उनकी निजी राय है और पार्टी का इससे कोई लेना देना नहीं है। पार्टी किसी भी कीमत पर भाजपा को सरकार नहीं बनाने देगी।