नहीं सोचा था कि संगीत का आज यह रूप भी देखना और सुनना पड़ेगा, इसका स्तर इस हद तक गीर सकता है, समाज में संगीत को कुछ डायरेक्टर और प्रोडूसर ने अश्लितला का जो रूप दिया है, जिसमें कभी शिला की जवानी की नुमाइश की जाती है, तो कभी न जाने कितनी ही मुन्नियों को बैठे बिठाए बंदान कर दिया जाता है, और अब एक और ऐसा ही एक गाना सुनने में आ रहा है “दिल्ली की न मुंबई वालों की पिंकी तो है पैसे वालों की” अब क्या कहूँ इस गाने के बारें में, इसमें तो पिंकी को पैसो वालों की बना छोड़ा है। अब इसमें सभी पिन्कियों का भला क्या दोष हैं? जिन्हें पता है की वो पैसे वालों की नहीं हैं।
जब हमारे समाज में शिला की जवानी और मुन्नी बदनाम
हुई जैसे अश्लील आईटम सॉंग लिखने वाले ये गाना फिल्माने वाले प्रोडुसर – डायरक्टर और इनके इशारे पर नाचने वाली ऍक्ट्रेस जब अश्लीलता का नंगा नाच दिखाते है, और लोग भी बडे बेशर्मी से इसका मजा लेते है, तो कहीं न कही इसका असर तो हमारे समाज पर पड़ेगा ही।
गौरतलब है की इलाहाबाद हाइ कॉर्ट में ‘ मुन्नी ओ शिला’ गानों के खिलाफ याचिका दायर की गई थी, लेकिन सोचने वाली बात तो यह है जहाँ एक तरफ कुछ लोग इस गानों के खिलाफ है, तो वहीँ दूसरी और जनता ने इन गानों को बेहद पसंद किया और ये सुपर हिट गाने सिद्ध हुए हैं। हर गली हर नुक्कड़ पर किसी के नाम को लेकर बजने वाले इन गानों ने किसी के नाम को एक प्रोडक्ट बना डाला है।
अब रहा सवाल अश्लीलता का तो, ‘साथ कोई रात गुजार तुज़े सुबह तक में करूँ प्यार’, ‘पल्लू के निचे छुपा के रखा है,… खैर बताने लगे तो ना जाने कितने ही ऐसे अश्लील गाने सामने आ जायेंगे ,और फिर यहाँ सवाल ये भी उठता है कि हमारे समाज में जाने ऐसे गानों को सहन करने वालों को इन गानों में क्यों अश्लीलता दिखाई देगी? और अश्लील हैं तो इन्हें जनता ख़ुद ही बर्खास्त कर देती, मगर लगता हैं कि इन गानों को विरोध के माध्यम से और अधिक लोकप्रिय बनाने के प्रयास किए जाते रहे हैं।
इस तरह गानों में किसी का नाम आने से औरतों और लड़कियों का गली-मोहल्लों में निकलना मुश्किल हो जाता है । इसी के साथ किसी के नाम की छवि खराब करने में टी.वी के न्यूज व मनोरंजन चैनल भी बखूबी अपनी -अपनी भूमिका निभाते हैं। जरा सोचिये आप जिस समाज में रहते हैं उसे मनोरंजन के नाम पर ये क्या परोस रहे हैं। इस नाम की किसी की बहन होती है, किसी की बेटी होती है, किसी की पत्नी होती है तो किसी की माँ।
मनोरंज के नाम पर गानों में किसी के नाम का प्रयोग करके गाने को हिट बनाने का जो प्रचलन हमारे समाज में चल रहा है, यह समाज में रहने वाले लोगों के लिए बेहद ही शर्म की बात है, और इसी के साथ संगीत जिसकी पुजा की जाती है , कहीं न कही यह अश्लील गाने संगीत के साथ खिलवाड़ का काम कर रहे है। ऐसे अश्लील गानों को लोगों के सामने परोसने वालों को यह सोचना और समझना चाहिए कि किसी के नाम को इस तरह से गाने में उछालना सिर्फ बेशर्मी का एक रूप, और ये सभी उन अश्लील संगीत लिखने, पढने और गाने वालों को सोचना चाहिए कि किसी का नाम मार्किट में रखा हुआ को प्रोडक्ट नहीं है।