कानपुर देहात के भोगनीपुर थाना क्षेत्र के गौर गांव में रहने वाले गुरूप्रसाद की 16 साल की बेटी पूजा 30 मई को घर छोड़ कर चली गयी थी, घर वालो ने काफी तलाश करने के बाद भोगनीपुर थाने में बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करायी थी, गुमशुदगी के महज सात दिन बाद एक लड़की की लाश कानपुर के घाटमपुर थाना क्षेत्र में मिली लाश मिली, जो कई दिन पुरानी थी लिहाजा पुलिस ने इस लड़की की लाश मिलने की सूचना गुरूप्रसाद को दी जिसके बाद गुरूप्रसाद ने उस लड़की के शव की शिनाख्त अपनी बेटी पूजा के रूप में कर दी थी।
जिसके बाद गुरूप्रसाद के घर में कोहराम मच गया था, फिर गुरू प्रसाद ने शिनाख्त किये गये शव का अन्तिम संस्कार रीति रिवाज के साथ कर दिया। उधर पुलिस ने गुमसुदगी की रिपोर्ट को हत्या में दर्ज कर अज्ञात हत्यारे के तलास में जुट गयी।
मगर जिस बेटी का अंतिम संस्कार कर घरवाले उसे भुलाने की कोशिस कर रहे थे, वहीँ पूजा अचानक 30 अगस्त को अपने बड़े भाई के साथ अपने गाँव घर पर आ जाती है, जिसे देख घरवाले ही नहीं बल्कि गाँव वालो के भी पाँव तले जमीन खिसक जाती है।
पूजा के अनुसार उसने अपने मौसा के घर घूमने जाने के लिये कई बार जिद की थी। मगर पूजा के माँ बाप ने उसे नही जाने दिया था, जिससे नाराज होकर पूजा किसी को बताये बगैर अपने भाई के पास दिल्ली चली गयी, और भाई को घर पर कुछ भी बताने से मना कर दिया था। मगर पूजा के भी होश उस समय उड़ गये। जब उसे पता चला कि उसके जिन्दा होने के बावजूद वो स्वर्गवासी हो चुकी है, और उसके हत्या का मुकदमा भी भोगनीपुर थाने में दर्ज है। लिहाजा मा बाप ने सबसे पहले पूजा के जिन्दा होने की जानकारी पुलिस को दी।
बहरहाल इस घटना ने जहा पूरे पुलिस महकमें को हिला कर रख दिया, जबकि पूजा के वापस आने से कई सवाल भी खडे हो गए। मसलन जिस लडकी को पूजा समझकर उसका अन्तिम संस्कार कर दिया गया वो मृतक कौन थी, आखिर क्यों बिना भाई को खबर किये उसकी लाडली बहन का अंतिम संस्कार परिजन द्वारा कर दिया गया? उधर कानपुर देहात के अपर पुलिस अधीक्षक राम किशुन के अनुसार इस मामले की पूरी जांच की जायेगी।