SII ने मांगी कोविडशील्ड टीके के दूसरे-तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति

नई दिल्ली : कोविड-19 के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा बनाए गए टीके के उत्पादन के लिहाज से आस्ट्राजेनेका के साथ साझेदारी करने वाले सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने टीके के मनुष्य पर क्लीनिकल ट्रायल के दूसरे और तीसरे चरण के लिए भारत के औषध महानियंत्रक (डीसीजीआई) से अनुमति मांगी है।

सूत्रों ने बताया कि पुणे स्थित दवा कंपनी एसआईआई ने शुक्रवार को डीसीजीआई को आवेदन दिया है और ‘कोविडशील्ड’ नामक टीके के परीक्षण के लिए अनुमति मांगी है।

एक सूत्र ने कहा कि आवेदन के मुताबिक वह स्वस्थ भारतीय वयस्कों में ‘कोविडशील्ड’ की सुरक्षा और प्रतिरक्षा प्रणाली विकसित होने का पता लगाने के लिए बिना क्रम के (रैंडमाइज्ड) नियंत्रित अध्ययन करेगी, जो ऑब्जर्वर-ब्लाइंड होगा यानी जिस पर परीक्षण हो रहा है और जो कर रहा है, दोनों को नहीं पता होगा कि क्या दवा दी जा रही है। कंपनी ने कहा कि अध्ययन में 18 साल से अधिक उम्र के करीब 1600 प्रतिभागियों को शामिल किया जाएगा।

सूत्र ने कहा कि ब्रिटेन में पांच परीक्षण स्थलों पर टीके के पहले दो चरण के परीक्षण के परिणाम दिखाते हैं कि इसका स्वीकार्य स्तर का सुरक्षा प्रोफाइल है।

टीकों की डोज के उत्पादन और बिक्री के लिहाज से दुनिया की सबसे बड़ी टीका निर्माता कंपनी एसआईआई ने टीका लाने के लिए ब्रिटिश-स्वीडिश फार्मा कंपनी आस्ट्राजेनेका के साथ साझेदारी में जेनेर इंस्टीट्यूट (ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी) द्वारा विकसित टीके के उत्पादन के लिए करार किया है।

आस्ट्राजेनेका के साथ साझेदारी के संबंध में एसआईआई के सीईओ अडार पूनावाला ने कहा था कि एसआईआई ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित किए जा रहे कोविड-19 के टीके की एक अरब खुराक के उत्पादन और आपूर्ति के लिए आस्ट्राजेनेका के साथ साझेदारी की है। उन्होंने कहा था कि ये टीके भारत और दुनिया के मध्यम तथा अल्प आय वाले देशों के लिए होंगे।

कंपनी ने अगस्त में भारत में मनुष्य पर दूसरे और तीसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल शुरू करने की योजना बनाई है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने सोमवार को टीके को लेकर संतोषजनक प्रगति की घोषणा की थी।