छोनों पूर्व नसीमुद्द्दीन सिद्द्किी, बाबू सिंह कुशवाहा, निर्माण निगम के तत्कालीन एमडी सीपी सिंह, भू-वैज्ञानिक एसए फारूख और 15 इंजीनियरों के खिलाफ FIR दर्ज कराकर विवेचना और अन्य के खिलाफ विवेचना के बाद FIR की संस्तृति की है। उन्होंने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से घोटाले की सीबीआइ या एसआइटी (विशेष पुलिस बल) से जांच कराने, घाटाले की धनराशि की वसूली के लिए जिम्मेदारों का चिह्नित करते हुए 12 सिफारिशें की है।
जंच का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि स्मारको के लिए धन आवंटन से लेकर निगरानी तक के कार्य में लगे रहे किसी भी IAAS अधिकारी को दोषी नहीं पाया गया है। तत्कालीन मुख्मंत्री मायावती की भी कोई भूमिका नहीं पाई गई है, हालांकि लोकायुक्त को मुख्मंत्री की सीधी जांच का अधिकार नहीं है। स्मारक घोटाले की तकरीबन 13 माह में पूरी हुई जांच रिपोर्ट चार हिस्सों में है। एक हिस्से में नसीमुद्दीन सिद्दीकी, बाबू सिंह कुशवाहा, तत्कालीन भूतत्व एवं खनिकर्म सलाहाकार सुहैल अहमद फारूकी, निर्माण निगम के तत्कालीन एमडी सीपी सिंह, 15 इंजीनियर और निर्माण निगम के 35 उन लेखाकारों के नाम हैं, जिनसे घोटाले के 14 अरब रूपये वसूल जाने है। इसमें किसने कितना धन वसूला जाना है, दर्ज है।
छूसरे में बिचैलियों के रूप में पूर्व विधायक शारदा प्रसाद, पूर्व विधायक अनिल कुमार मौर्या और मौजूदा सपा विधायक रमेश चंद्र दुबे समेत 12 लोगों का नाम दर्ज है। तीसरे में उन 60 फर्मों का उल्लेख है जिन्होंने बाजार से भारी कीमत पर पत्थरों की आपूर्ति की। कई ने मीरजापुर में सैड स्टोन की कटिंग कराई, लेकिन भुगतान राजस्थान की दरों का लिया।
ऐसी फर्मों के खिलाफ विवेचना के बाद FIR कराने का उल्लेख किया गया है। चैथे हिस्से मे राजकीय निर्माण निगम के उन 42 परियोजना प्रबंधकों का उल्लेख है निकी घोटाले में परोक्ष भूमिका रही है, उनकी संपत्तियों के साथ-साथ कुछ इंजिनियरों के खिलाफ भी कठोर विभागीय कार्रवाई की भी सिफारिश की गई है।