मध्य प्रदेश के इंदौर में 28 सितंबर 1929 ‘स्वर कोकिला’ लता मंगेशकर का जन हुआ था। लता मंगेशकर एक जीवित किवदंती हैं। ईश्वर के वरदान के रूप में उन्हें जो आवाज मिली है, उसका सर्वोत्तम उपयोग मानव-कल्याण के लिए लताजी ने किया है। इसमें कोई सन्देश नहीं कि जब तक धरती पर सूरज-चाँद और सितारे रहेंगेए लता की आवाज हमारे आसपास गूँजती रहेगी। एक सुरीली आवाज में लता जी हमेशा हमारे साथ रहेंगी।
आज 28 सितंबर को लता जी अपने जीवन के 84 साल पूरे कर रही हैं। उन्होंने फिल्मों में पाश्र्वगायन के अलावा गर फिल्मी गीत भी गाए हैं। कुमारी लता दीनानाथ मंगेशकर रंगमंचीय गायक दीनानाथ मंगेशकर और सुधामती की पुत्री हैं।
चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी लता को उनके पिता ने पांच साल की उम्र से ही संगीत की तालीम दिलवानी शुरू की थी। बहनों आशाए ऊषा और मीना के साथ संगीत की शिक्षा ग्रहण करने के साथ साथ लता बचपन से ही रंगमंच के क्षेत्र में भी सक्रिय थीं। जब लता सात साल की थींए तब उनका परिवार मुंबई आ गयाए इसलिए लता जी का पालन पोषण मुंबई नगरी में ही हुआ।
बचपन से ही लता जी को गाने का बहुत शौक था और संगीत में उनकी दिलचस्पी थी। लता ने एक बार अपने साक्षात्कार में बीबीसी को बताया था कि जब वह चार-पांच साल की थीं तो किचन में खाना बनाती स्टूल पर खड़े होकर अपनी मां को गाने सुनाया करती थीं। तब तक उनके पिता को उनके गाने के शौक के बारे में पता नहीं था।
एक बार पिता की अनुपस्थिति में उनके एक शागिर्द को लता एक गीत के सुर गाकर समझा रही थींए तभी पिता आ गए। पिताजी ने उनकी मां से कहाए हमारे खुद के घर में गवैया बैठी है और हम बाहर वालों को संगीत सिखा रहे हैं। अगले दिन पिताजी ने लता को सुबह छह बजे जगाकर तानपुरा थमा दिया।
गायिकी कि दुनिया में कई ऐसी बाते है जो लता जी को अन्य गीतकारो से अलग पहचान देती हैए लता जी के लिए गाना पूजा के समान है। बतया जाता है कि रिकॉर्डिंग के समय वे हमेशा नंगे पैर ही गाती हैं। खेलों में उन्हें क्रिकेट का बेहद शौक है। भारत के किसी बड़े मैच के दिन वे सारे काम छोड़ मैच देखने जाती हैं। उनके पिताजी द्वारा दिया गया तम्बूरा उन्होंने अब तक संभालकर रखा है। लता को फोटोग्राफी का बेहद शौक है। विदेशों में उनके द्वारा उतारे गए छायाचित्रों की प्रदर्शनी भी लग चुकी हैं।
लता जी कागज पर कुछ भी लिखने के पहले ‘श्रीकृष्ण’ लिखती हैं। लता मंगेशकर का पसंदीदा खाना कोल्हापुरी मटन और भुनी हुई मछली है। चेखवए टॉलस्टॉय, खलील जिब्रान का साहित्य उन्हें पसंद है। वे ज्ञानेश्वरी और गीता भी पसंद करती हैं। उन्हें गुरुदत्तए सत्यजित रे, यश चोपड़ा और बिमल रॉय की फिल्में पसंद हैं। उन्हें कुंदनलाल सहगल और नूरजहाँ उनके पसंदीदा गायक-गायिका हैं। शास्त्रीय गायक-गायिकाओं में लता को पंडित रविशंकर, जसराज, भीमसेन, बड़े गुलाम अली खान और अली अकबर खान पसंद हैं।
अपनी लगन और प्रतिभा के बल पर हालांकि धीरे-धीरे उन्हें काम और पहचान दोनों मिलने लगे। 1947 में आई फिल्म ‘आपकी सेवा में’ में गाए गीत से लता को पहली बार बड़ी सफलता मिली और फिर उन्होंने पीछे मुढ़कर नहीं देखा। भारत सरकार ने लता को पद्म भूषण (1969) और भारत रत्न (2001) से सम्मानित किया। सिनेमा जगत में उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कारए दादा साहेब फाल्के पुरस्कार और फिल्म फेयर पुरस्कारों सहित कई अनेकों सम्मानों से नवाजा गया है।