वाराणसी: धार्मिक नगरी वाराणसी में पुल पर मची भगदड़ में 24 लोगों की मौत हो गई है।ये हादसा राजघाट पुल पर हुआ। जय गुरुदेव के भक्त समागम के लिए जमा थे और राजघाट पुल पर भीड़ के कारण ये हादसा हुआ। मरने वालों में 20 महिलाएं 4 पुरुष हैं।
खबर के मुताबिक, रविवार को डुमरिया में जय गुरुदेव की गद्दी पर स्थापित बाबा पंकज दास का दो दिन का सत्संग समागम होना था। इसके लिए कई शहरों के लाखों अनुयायी वाराणसी पहुंचे थे। शनिवार सुबह से ही राजघाट पुल पर गुरुदेव के अनुयायियों का पैदल मार्च चल रहा था। इससे वहां ट्रैफिक पर रोक लगा दी गई, जिससे पूरे शहर में जाम लग गया। इस बीच अचानक पड़ाव के पास भगदड़ मच गई।
खुद को बचाने की कोशिश में लोग एक-दूसरे को कुचलकर आगे बढ़ने लगे, जिससे 24 लोगों की मौत हो गई।मौके पर बचाव और राहत कार्य जारी है। घायलों को नजदीकी अस्पताल पहुंचाया जा रहा है। सीएम अखिलेश ने कमिश्नर स्तर की जांच के आदेश दे दिए हैं। वाराणसी प्रशासन ने हेल्पलाइन नंबर 2508464 जारी किया है।
वाराणसी-चंदौली सीमा पर स्थित डोमरी में जय गुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था (मथुरा) की ओर से दो दिवसीय सत्संग महामानव संगम का आयोजन किया गया था। इसमें भाग लेने के लिए देश के विभिन्न राज्यों और बाहरी मुल्कों से भी अनुयायी आए हुए थे।
पहले दिन शनिवार की सुबह श्रद्धालुओं के जत्थे को जुलूस की शक्ल में शोभायात्रा के लिए नगर की ओर रवाना किया गया। शोभायात्रा को वाराणसी शहर के करीब आधे हिस्से का चक्कर काटते हुए वापस आयोजन स्थल पहुंचना था।
यह क्रम तय समय पर शुरू हुआ। दोपहर करीब 12.30 बजे शहर से लौट रहे श्रद्धालुओं और आयोजन स्थल से नगर के लिए निकले जत्थे के चलते राजघाट पुल पर ठसाठस भीड़ हो गई।
ऐसे मची भगदड़
लोहे के पुल पर लोग इस कदर ठसे हुए थे कि हिलना भी मुश्किल हो रहा था। बताया जा रहा है कि इसी दौरान पुल के चंदौली (पड़ाव) छोर पर एक वृद्धा गश खाकर गिर पड़ी और एक बाइक सवार भी भीड़ के धक्के से गिर पड़ा। वृद्धा और मोटरसाइकिल के गिरने से भगदड़ मच गई।
एक दावा यह भी किया जा रहा है कि पुल पर भीड़ में दम घुटने से एक व्यक्ति की मौत हो गई। इसके बाद फैली अफवाह के कारण भगदड़ मच गई। लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे। धूप के बीच इस भगदड़ से एक के बाद एक दर्जनों लोग बेसुध होकर गिर पड़े। मौके पर बिखरे जूते-चप्पल, बर्तन, कपड़े और हेलमेट आदि दर्द विदारक घटना का मंजर बयां कर रहे थे।
पुलिस पर आरोप
जय गुरुदेव संस्थान के प्रवक्ता राज बहादुर का आरोप है कि श्रद्धालु पड़ाव की ओर बढ़ रहे थे। लेकिन पुलिस ने वापस लौटना शुरू कर दिया। यही वजह रही कि पुल पर भीड़ बढ़ गई। इसी बीच अफवाह फैल गई कि पुल का अगला हिस्सा गिर गया है और भगदड़ मच गई।
भीड़ में फंस गई राहत
पुल के अलावा दोनों छोर पर अत्यधिक भीड़ और भीषण जाम के चलते हादसा स्थल से घायलों को निकालकर अस्पताल पहुंचाने में काफी विलंब हुआ। बताया जा रहा है कि कुछ लोगों की मौत मौके पर ही हो चुकी थी, जबकि कई लोगों की सांसें देर तक चल रही थीं।
घायलों को जब तक रामनगर स्थित लालबहादुर शास्त्री राजकीय अस्पताल पहुंचाया गया, उनमें से अधिकांश की मौत हो चुकी थी। अस्पताल तक पहुंचने में ही करीब दो घंटे से अधिक वक्त लगा। शुरुआत में मरने वालों की संख्या 18 बताई गई जो दो घंटे बाद शाम पांच बजे तक 20, फिर आधे घंटे बाद 24 पहुंच गई।
4000 की अनुमति, लाखों जुटे
कार्यक्रम के आयोजकों ने जिला प्रशासन से अनुमति लेते वक्त लिखित दिया था कि यहां तीन से चार हजार लोग जुटेंगे। इसी आधार पर अनुमति दी भी गई। इसके बावजूद शहर में शुक्रवार की रात तक ही हजारों की संख्या में अनुयायी जुट चुके थे।
शनिवार की सुबह यह संख्या लाखों पार कर चुकी थी, इतने पर भी पुलिस प्रशासन की ओर से भीड़ व यातायात नियंत्रण के कोई उपाय नहीं किए गए। यहां तक कि पूरे पुल के ठसाठस भर जाने पर भी हादसे के वक्त तक चार पहिया वाहनों का आवागमन नहीं रोका गया था।
प्रधानमंत्री ने जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र बनारस में हुए हादसे पर दोपहर 3.51 बजे ट्वीट कर शोक जताया। उन्होंने पूरे घटनाक्रम की जानकारी स्थानीय प्रशासन से फोन पर ली। ख्यमंत्री ने हादसे में दम तोड़ने वाले लोगों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का भी एलान किया है।
घटना की होगी जांच
अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) दलजीत चौधरी ने लखनउ में बताया कि राजघाट पुल काफी संकरा है और गर्मी और घुटन की वजह से पुल पर एक व्यक्ति की मौत के बाद भगदड़ मची थी, जिससे इतना बड़ा हादसा हो गया। उन्होंने बताया कि बाबा जयगुरदेव संस्थान ने जितनी भीड़ का अनुमान लगाकर आयोजन की अनुमति ली थी, उससे कई गुना ज्यादा भीड़ एकत्र हो गई थी। हम घटना की जांच कर रहे हैं।गुनहगारों को बख्शा नहीं जाएगा।