इस थेरेपी के चमत्कारिक नतीजों से उत्साहित वैज्ञानिक एड्स के इलाज में स्टेम सेल प्रत्यारोपण के प्रभाव का गहन अध्ययन में जुट गए हैं। कुआलालंपुर में इंटरनेशनल एड्स सोसायटी कांफ्रेंस में बुधवार को हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के टिमोथी हेनरिच ने दावा किया है कि स्टेम सेल प्रत्यारोपण के बाद इन मरीजों में एचआइवी संक्रमण का कोई लक्षण नहीं मिला।
हालांकि अभी तक दोनों मरीजों के एचआइवी से पूरी तरह मुक्त होने की कोई पुष्टि नहीं की गई है। लेकिन, यह भी सच है कि इनमें से एक मरीज को पिछले 15 हफ्तों से और दूसरे को सात हफ्तों से एंटीरिट्रोवायरल दवा नहीं दी जा रही। हेनरिच ने पिछले साल एड्स पीडि़त दो मरीजों में स्टेम सेल प्रत्यारोपण के बाद उनके खून में एचआइवी का कोई निरून मौजूद न होने की बात कही थी, लेकिन तब दोनों को एड्स से लडत्रने की दवाएं दी जा रही थीं।
हालांकि, स्टेम सेल थेरेपी बहुत महंगा इलाज हएै लेकिन इससे दुनियां भर के तीन करोड़ से ज्यादा एड्स पीडि़त मरीजों के लिए नई उम्मीद जगा दी है। ये नए मामले द बर्लिन पेशेंट के नाम से मशहूर टिमोथी रे ब्राउन के जैसे ही हैं। ल्यूकी मिया से पीडि़त ब्राउन का वर्ष 2007 में अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण (ब्रोन मैरो ट्रांसप्लांट) हुआ था और तब से वह एचआइवी से पूरी तरह मुक्त है।