बिहार के हाई स्कूलों में नहीं होती कम्प्यूटर कि पढाई जबकि आधुनिक शिक्षा के बदलते पथ्रवेश में कम्प्यूटर शिक्षा अनिवार्य है, आज हर जगह कम्प्यूटर कि मांग है ऐसे में बिहार सरकार का ध्यान इस शिक्षा प्रणाली कि तरफ क्यों नहीं है यह अपने आप में एक सवाल है।
हालांकि कुछ वर्ष पूर्व कम्प्यूटर शिक्षा के प्रति सरकार जागरूक हुई थी राज्य के सभी हाई स्कूलों में ग्यारह ग्यारह कम्प्यूटर की व्यवस्था कि गई थी तथा सभी स्कूलों में अलग से कम्प्यूटर रूम की भी व्यवस्था कि गई थी और कहीं कहीं तो वतानुकुलित रूम कि भी व्यवस्था भी कि गई थी और जो छात्र कम्प्यूटर कि शिक्षा लेना चाहते थे उनको नामांकन सहीत प्रति माह कुछ राशि भी देनी पडती थी।
कम्प्यूटर शिक्षकों कि भी कॉन्टेक्ट पर बहाली हुई थी पर न जाने किन कारणों से उस पर ग्रहण लग गया और फिर आज तक कोई सुध लेने वाला नहीं शिक्षक के आभाव में कम्प्यूटर बन्द पड़े है। कम्प्यूटर रूम के खिड़की दरवाजे जंग खा रहे हैं। कमरे और कम्प्यूटर कि सफाई कि कौन कहे रूम का ताला भी नहीं खुलता रूम के अन्दर किड़े मकोड़े का राज्य कायम हो चुका है।
बहुत स्कूलों के कम्प्यूटर कहा गायब है यह भी एक जाच का विषय है अब देखना यह है कि सरकार कि सोई हुई सरकार की आंख कब खुलती है? कब सरकार के इस महत्वकाक्षी योजना का समुचित लाभ छात्रों को मिल पाता है? हालाकि बीच में एक बार सरकार द्वारा शिक्षको को दस दिवसीय प्रशिक्षण शिविर चला प्रशिक्षण् दिया गया था पर शिक्षक केवल कम्प्यूटर को ऑन ऑफ करने के अलावा कुछ नही सिख पाये ।