श्री ब्रह्मानन्द इण्टर कालेज में कक्षा छह में पढ़ने वाला यह छात्र जिसका नाम आकाश है। एक साल पहले पिता तेज सिंह का एक्सीडेंट में दोनों पैर खराब हो गए तो घर का सारा भार आकाश के कंधो पर आ गया। जिसके बाद आकाश के सामने रिक्शाचलाने के शिवाय और कोई चारा नही रहा।
अलीगढ के थाना गाधी पार्क के सूयविहार कॉलोनी में एक छोटे से मकान में रहने वाले परिवार के साथ जीवन के कठिन पलोंमें आकाश जिन्दगी गुजार रहा है। आकाश के घर में छोटे भाई बहन भी है, पेट पालने के लिये माँ कुछ घरों में बर्तन माजने का काम करती है, तो वही आकाश ने अपने कोमल हाथो से रिक्शे का हेंडिल थाम लिया है।
परिवार की आय इतनी कम है कि आकाश का पढना मुश्किल है। आकाश स्कूल के बच्चों को नन्हें कदमो से रिक्शा खीच कर उनके स्कूल व घर को पहुंचता है। आकाश के पिता ने एक दिन भी स्कूल की सूरत नहीं देखी लेकिन अपने बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं।
आकाश के पिता का कहना है की मजबूरी में आकाश को रिक्शा चलाना पड़ रहा। आकाश को बजीफा भी नहीं मिला। वही जब आकाश के स्कूल के प्रिंसपल से बात की तो उन्हें इस बारे में कुछ भी पता ही नहीं।