दरअसल, रविवार की नियमित प्रार्थना के बाद गिरिजाघर से बाहर निकल रहे थे। पेशावर के कमिश्नर साहिबजादा मुहम्मद अनीस ने बताया कि शहर के हिंसाग्रस्त कोहाटी गेट जिले में स्थित इस प्राचीन गिरिजाघर के बाहर उस समय दोहरा आत्मघाती विस्फोट किया गयाए जब श्रद्धालु रविवार की प्रार्थना के बाद बाहर निकल रहे थे।
हालांकि, इसे पाकिस्तान के इतिहास में ईसाई समुदाय पर अब तक का सबसे विध्वंसक हमला माना जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि इस जघन्य हमले में 78 लोग मारे गए हैं। मारे गए लोगों में 30 से अधिक महिलाएं और कम से कम सात बच्चे शामिल हैं।
अनीस ने बताया कि ब्लास्ट के वक्त गिरिजाघर के भीतर 600.700 लोग मौजूद थे। विस्फोट इतना तेज था कि आसपास की इमारतों को भी काफी नुकसान पहुंचा। आत्मघाती हमलावर ने छह किलोग्राम विस्फोटक वाली जैकेट पहन रखी थी। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि हमले वाली जगह पर शवों के टुकड़े, खून से सने कपड़े और जूते पड़े देखे।
गुस्साए ईसाई समुदाय के लोगों ने रीडिंग अस्पताल के बाहर प्रदर्शन कियाए जहां अधिकतर पीड़ितों को इलाज के लिए ले जाया गया है। उन्होंने मारे गए लोगों के शवों के साथ सड़क को भी जाम कर दिया।
इस हमले की निंदा करते हुए प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा है कि आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता और मासूम लोगों को निशाना बनाना इस्लाम तथा सभी धर्मों की शिक्षाओं के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद की इस प्रकार की वीभत्स घटनाएं आतंकवादियों की नृशंसता एवं अमानवीय सोच को दर्शाती हैं। पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने भी हमले में हुई जनहानि पर गहरा शोक व्यक्त किया और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। अब तक हालांकि किसी भी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है।