दिल्ली में बीजेपी की ओर से सरकार बनाए जाने की अटकलें धूमिल होती नजर आ रही हैं। सरकारी सूत्रों की मानें तो दिल्ली में फिलहाल सरकार बनने की संभावना नहीं है और इस साल दिसंबर में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। सरकार को लेकर सियासी गहमागहमी का मसला शीर्ष अदालत पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि इस मामले को लेकर अब तक क्या पहल हुई है? कोर्ट ने यह भी पूछा है कि दिल्लीर के विधायक घर में बैठकर क्यास कर रहे हैं?
आम आदमी पार्टी (आप) की अर्जी पर सुनवाई कर रही संविधान पीठ ने पूछा कि केंद्र सरकार दिल्लीी में सरकार बनाने के लिए क्या कर रही है? अदालत ने सरकार से इस अर्जी को ‘आप’ के नजरिये से नहीं बल्कि दिल्लीे के एक नागरिक के नजरिये से देखने को कहा है जो यह मानता है कि उसने जिस प्रतिनिधि को चुना है वो सैलरी तो लेता है लेकिन काम नहीं कर रहा है। पीठ का मानना है कि बीजेपी पहले ही दिल्लीच में सरकार बनाने से मना कर चुकी है। आप का कहना है कि उसके पास सरकार बनाने के लिए बहुमत नहीं है. इस पर कोर्ट ने यह भी सवाल किया कि आखिर कब तक केंद्र सरकार दिल्ली विधानसभा को निलंबित रख सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को सलाह दी है कि उसे दिल्लीा में सरकार बनाने के लिए ठोस राय रखनी चाहिए। जस्टिस एच एल दत्तुा की अगुवाई वाली पीठ ने केंद्र सरकार से पांच हफ्ते में दिल्लीै में सरकार बनाने या चुनाव को लेकर किसी ‘सकारात्मुक परिणाम’ के साथ अदालत में आने को कहा है। अदालत ने इस मामले में बने गतिरोध को खत्मण करने को कहा है। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई पांच हफ्ते तक के लिए टाल दी है। अदालत ने उम्मीकद जाहिर की है कि केंद्र सरकार ‘सकारात्महक परिणाम’ के साथ कोर्ट में आएगी।
आप की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट दिल्ली के उप राज्य्पाल को यह आदेश दे कि वो विधानसभा भंग कर नए सिरे से चुनाव कराने की सिफारिश करे। आप ने बीते रविवार को हुई जंतर-मंतर पर रैली में आरोप लगाया कि बीजेपी दिल्ली में सरकार बनाने से भाग रही है। हालांकि, इसके अगले दिन दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने यह कहकर सियासी गहमागहमी को हवा दे दी कि अल्पमत की सरकार बनाना कोई पाप नहीं है। अल्पमत की सरकारों का इतिहास रहा है। उन्होंने कहा, ‘मैं ये नहीं कह रहा कि हम सरकार बना रहे हैं, लेकिन राजनीति में इसकी संभावना से कभी इनकार नहीं किया जा सकता।