याकूब मेमन को हुई फांसी, देश के इतिहास में पहली बार रात 3:20 बजे सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

नई दिल्ली: आखिरकार मुंबई सीरियल ब्लास्ट के गुनहगार याकूब मेमन को सुबह साढ़े छह बजे नागपुर केंद्रीय कारागार में फांसी दे दी गई। याकूब को फांसी देने के समय जेल सुपरीटेंडेंट, दो कांस्टेबल, डीआईजी, सीएमओ वहां मौजूद रहे। सुबह 7:01 मिनट के बाद याकूब को मृत घोषित कर दिया गया।

हालांकि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा याकूब की दया याचिका खारिज किए जाने के बाद वकीलों ने उसे बचाने के लिए देर रात नया दांव खेलना शुरू कर दिया था। रात करीब 10:45 बजे प्रशांत भूषण सहित कुछ अन्य वकील फांसी पर रोक लगाने के लिए मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू के घर पहुंचे। मामले के मद्देनजर देर रात सुप्रीम कोर्ट फिर खुला और एक बार फिर से याकूब की याचिका पर सुनवाई शुरू हुई।

करीब तीन घंटे बाद कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया गया। इस तरह पूरी रात सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने के बाद आखिरकार याकूब को फांसी देने का रास्ता साफ हो गया। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को आधार बनाते हुए इन वकीलों ने कहा कि दया याचिका खारिज होने के कम से कम 14 दिन बाद ही किसी को फांसी दी जा सकती है। इसलिए याकूब की फांसी पर रोक लगाई जाए। सुप्रीम कोर्ट के वकीलों ने याकूब की फांसी पर 14 दिन की रोक लगाने की मांग लेकर रात ढाई बजे सुप्रीम कोर्ट खुलवाया।

कोर्ट नंबर चार में तीन जजों जस्टिस दीपक मिश्र, जे ए राय और जेपी पंत की बेंच ने मामले की सुनवाई की। याकूब की ओर से वकील आनंद ग्रोवर ने छह दलीलें दी। इस दौरान अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सरकार का पक्ष रखा। करीब एक घंटे तक याकूब मामले पर बहस हुई। इसके बाद जस्टिस दीपक मिश्रा ने याकूब की फांसी को बरकरार रखा। याकूब के वकीलों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला गलत है।

बुधवार को समय का पहिया तेजी से घूमा। पहले तो सुप्रीम कोर्ट ने मौत का फरमान रद करने की उसकी मांग खारिज कर दी। इसके बाद महाराष्ट्र के राज्यपाल ने भी उसकी दया याचिका ठुकरा दी। मौत को टालने का अंतिम प्रयास करते हुए उसने राष्ट्रपति को नई दया याचिका भेजी। इस पर प्रणब मुखर्जी ने गृह मंत्रालय से राय मांगी। गृह मंत्रालय की सिफारिश पर राष्ट्रपति ने देर रात दया याचिका खारिज कर दी। वह इससे पहले भी उसकी दया याचिका खारिज कर चुके थे।