कोर्ट से बाहर निकलने के बाद पत्रकारों से बातचीत में केजरीवाल ने कहा, ‘उप राज्यपाल ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि बीजेपी को दिल्ली में सरकार बनाने का न्योता दिया जाना चाहिए। बीते दिसंबर में उप राज्यपाल को लिखी चिट्ठी में बीजेपी ने कहा था कि वो दिल्ली में सरकार नहीं बनाना चाहती है. उसके बाद बीजेपी ने उप राज्यपाल को कोई चिट्ठी नहीं भेजी है और न ही बीजेपी ने उस चिट्ठी को वापस लिया है। ऐसे में किस आधार पर उप राज्यपाल बीजेपी को सरकार बनाने के लिए न्योता दे रहे हैं. यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसा लगता है कि उप राज्यपाल बीजेपी के लिए ‘बैटिंग’ कर रहे हैं।
केंद्र ने कहा कि ‘आप’ सुप्रीम कोर्ट को राजनीतिक प्रक्रिया में घसीटने की कोशिश कर रही है। केंद्र सरकार की ओर से अदालत में पेश हुए एडिशनल सोलिसिटर जनरल ने कहा कि दिल्ली में सरकार के मसले पर एलजी ने राष्ट्रपति को रिपोर्ट भेजी है। अब राष्ट्रपति के जवाब का इंतजार है। राष्ट्रपति इस मसले पर कब तक जवाब देंगे, यह उनका विशेषाधिकार है। इसके बाद कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस बारे में जल्द से जल्द फैसला लेने को कहा, नहीं तो खरीद-फरोख्त की घटनाएं जारी रह सकती हैं।
कोर्ट ने सरकार से पूछा था दिल्ली में कब तक राष्ट्रपति शासन लगा रहेगा? वहीं, अरविंद केजरीवाल खरीद-फरोख्त के नए सबूत कोर्ट में पेश करने वाले थे। अदालत ने आज की सुनवाई के दौरान आम आदमी पार्टी के ‘स्टिंरग ऑपरेशन’ का संज्ञान नहीं लिया है। कोर्ट ने ‘आप’ से कहा है कि वो अपने सबूत अगली सुनवाई में पेश करें।
बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि यदि उन्हें दिल्ली में सरकार बनाने का न्योता मिलता है तो वो इस पर विचार करेगी और बिना समय गंवाए फैसला करेगी। वहीं, कांग्रेस नेता शकील अहमद ने कहा है कि एक महीने के लिए सुनवाई टलने से बीजेपी को सरकार बनाने के लिए दूसरी पार्टियों के विधायकों से संपर्क करने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा।