नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने इंडियन प्रीमियर लीग (IPL 6) में भ्रष्टाचार मामले पर मुद्गल समिति की जांच रिपोर्ट पर सोमवार को सुनवाई के दौरान बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि हितों के टकराव पर उनकी जवाबदेही बनती है और वह इस मामले में खुद को अलग नहीं कर सकते।
आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण पर मुद्गल समिति की रिपोर्ट पर सुनवाई करते हुए एन श्रीनिवासन को फिलहाल राहत नहीं दी है। कोर्ट ने बीसीसीआई से कहा, यदि आप ये सब होने देंगे तो फिर आप क्रिकेट के खेल को खत्म कर रहे हैं। वहीं, बीसीसीआई ने न्यायालय से कहा, हम न्यायमूर्ति मुद्गल समिति की रिपोर्ट के निष्कर्षों को सही मानते हैं।
न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति एम एफ इब्राहिम कलीफुल्ला की खंडपीठ ने IPL छह में फिक्सिंग और सट्टेबाजी मामले पर जांच कर रही सेवानिवृत्त न्यायाधीश मुकुल मुद्गल की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय जांच दल की रिपोर्ट पर सुनवाई करते हुए कहा ‘क्रिकेट सज्जनों का खेल है और उसे उसी भावना के साथ खेला जाना चाहिए। यदि आप (BCCI और IPL) इस खेल में फिक्सिंग जैसी चीजों को होने देंगे तो आप क्रिकेट को ही नष्ट करेंगे।
अदालत ने बोर्ड के कामकाज से अलग किए गए एन श्रीनिवासन को कहा कि उनकी टीम के कुछ लोग सट्टेबाजी में संलिप्त थे और इसलिए उनकी जवाबदेही बनती है।
उच्चतम न्यायालय ने श्रीनिवासन के लिए कहा आपको हितों के टकराव के सवालों का जवाब देना होगा क्योंकि आप BCCI के अध्यक्ष भी हैं और IPL की टीम के मालिक भी है, जिसके अधिकारी भ्रष्टाचार में शामिल पाए गए हैं। ऐसे में आप इस मामले से खुद को अलग नहीं कर सकते हैं।
खंडपीठ ने कहा आप BCCI और IPL के बीच अंतर नहीं कर सकते है क्योंकि आईपीएल तो उसी से उपजा है। टीम में हिस्सेदारी होने से ही हितों का टकराव पैदा होता है। बीसीसीआई के अध्यक्ष के तौर पर आपके ऊपर ही टूर्नामेंट को चलाने की जिम्मेदारी है लेकिन खुद ही टीम के मालिक होने से सवाल पैदा होते है और इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। मामले की अगली सुनवाई मंगलवार तक के लिए टाल दी गई है।
गौरतलब है कि श्रीनिवासन ने उच्चतम न्यायालय से एक बार फिर अध्यक्ष बनने के लिए अनुमति मांगी है। श्रीनिवासन ने कहा था कि मुद्गल रिपोर्ट में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार में संलिप्तता के सबूत नहीं मिले, इसलिए उन्हें एक बार फिर प्रमुख की भूमिका निभाने की अनुमति दी जाए।