सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला, अरुणाचल में फिर कांग्रेस सरकार

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने भाजपा एवं केंद्र को बुधवार को बड़ा झटका दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अरुणाचल प्रदेश में बनी कलीखो पुल की सरकार को असंवैधानिक करार दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि राज्यपाल का फैसला असंवैधानिक था। विधानसभा सत्र को 1 महीने पहले बुलाने के राज्यपाल के निर्णय को असंवैधानिक बताते हुए खारिज कर दिया और अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार की बहाली का बुधवार को आदेश दिया।

न्यायालय के आदेश ने नाबाम तुकी की बर्खास्त कांग्रेस सरकार की सत्ता में वापसी का रास्ता साफ कर दिया है और विधानसभा के 6ठे सत्र की कार्यवाही को 14 जनवरी 2016 से 1 महीने पूर्व 16 से 18 दिसंबर 2015 को बुलाए जाने से संबंधित राज्यपाल ज्योति प्रसाद राजखोवा के निर्देश को दरकिनार कर दिया।

न्यायमूर्ति जेएस खेहर की अगुवाई वाली 5 न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने सर्वसम्मति से लिए गए अपने ऐतिहासिक फैसले में आदेश दिया कि अरुणाचल प्रदेश विधानसभा में 15 दिसंबर 2015 की यथास्थिति कायम रखी जाए।

इस मामले में कांग्रेस की ओर से पैरवी कर रहे विवेक तन्खा ने फैसले को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि यह फैसला भाजपा सरकार के लिए बड़ा झटका है। उन्होंने बताया कि अदालत ने 9 दिसंबर के नोटिफिकेशन को भी रद्द कर दिया गया।

कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने राज्यपाल पर केंद्र के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया। कांग्रेस ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से माफी मांगने को कहा है।

उल्लेखनीय है कि राज्य में संवैधानिक संकट की शुरुआत 2015 में उस समय हुई थी जब 60 सदस्यों वाली अरुणाचल विधानसभा में कांग्रेससरकार के 47 विधायकों में से 21 (इनमें दो निर्दलीय) विधायकों ने पार्टी के खिलाफ बगावत कर दी। उस समय कलिखो पुल चाहते थे कि तुकी की जगह उन्हें राज्य का मुख्यमंत्री बनाया जाए। इसके बाद 26 जनवरी 2016 को राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था।

कई महीनों के राजनीतिक संकट के बाद 2016 में अरुणाचल प्रदेश में भाजपा के सहयोग से कांग्रेस के बागी नेता कलिखो पुल ने राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। कलिखो पुल को कांग्रेस के 19 बागी विधायकों का समर्थन और बाहर से 11 भाजपा विधायकों और दो निर्दलीयों का समर्थन हासिल था। राज्य में 60 विधानसभा सीटें हैं।