नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मीडिया संगठनों और प्रेस काउंसिल से पूछा कि यौन पीड़ितों की पहचान उजागर करने वाले मीडिया संस्थानों और पत्रकारों पर मुकदमा क्यों नहीं चलाया जाता ?
न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि यौन पीड़िताओं की पहचान सार्वजनिक करना अपराध है और यदि कानून का उल्लंघन होता है, तो कार्रवाई जरूर होनी चाहिए। पीठ ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से पेश वकील से पूछा, ‘आपने अब तक कितने लोगों को दंडित किया है।’
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इस पर वकील ने कहा कि इस मामले में पीसीआई की शक्ति सीमित है। वह ऐसे प्रकाशनों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकती और उनके आदेशों को विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय (डीएवीपी) तक पहुंचा सकती है।
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इस पर पीठ ने कहा, ‘यदि अखबार ने आपराधिक कृत्य किया है, तो उस पर अभियोग चलाया जाना चाहिए। भूल जाइए डीएवीपी को, अभियोजन किसलिए है। आप पुलिस को बताएं कि कानून का उल्लंघन हुआ है और उसके खिलाफ अभियोग चलाइए।’