नई दिल्ली : प्रमोशन में आरक्षण मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कई सवाल किए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मान लिया जाए कि एक जाति 50 सालों से पिछड़ी है और उसमें एक वर्ग क्रीमीलेयर में आ चुका है, तो ऐसी स्थितियों में क्या किया जाना चाहिए?
केंद्र ने कहा, ‘1000 साल से झेल रहा है यह तबका’ , इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हुई पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि 2006 के नागराज जजमेंट के चलते SC-ST के लिए प्रमोशन में आरक्षण रुक गया है। केंद्र सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि प्रमोशन में आरक्षण देना सही है या गलत इसपर टिप्पणी नहीं करना चाहता, लेकिन यह तबका 1000 से अधिक सालों से झेल रहा है। उन्होंने कहा कि नागराज मामले में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ को फैसले की समीक्षा की जरूरत है।
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को प्रमोशन में आरक्षण से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कई सवाल किए।शीर्ष अदालत ने पूछा कि यदि एक आदमी रिजर्व कैटिगरी से आता है और राज्य का सेक्रटरी है, तो क्या ऐसे में यह तार्किक होगा कि उसके परिजन को रिजर्वेशन के लिए बैकवर्ड माना जाए? दरअसल, सुनवाई करने वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ इस बात का आंकलन कर रही है कि क्या क्रीमीलेयर के सिद्धांत को SC/ST के लिए लागू किया जाए, जो फिलहाल सिर्फ OBC के लिए लागू हो रहा है।
वहीं केंद्र सरकार ने सर्वोच्च अदालत से कहा है कि 2006 के फैसले पर पुनर्विचार की तत्काल जरूरत है। केंद्र ने कहा कि एससी-एसटी पहले से ही पिछड़े हैं इसलिए प्रमोशन में रिजर्वेशन देने के लिए अलग से किसी डेटा की जरूरत नहीं है। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि जब एक बार उन्हें एससी/एसटी के आधार पर नौकरी मिल चुकी है तो पदोन्नति में आरक्षण के लिए फिर से डेटा की क्या जरूरत है? वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2006 के नागराज फैसले के मुताबिक सरकार एससी/एसटी को प्रमोशन में आरक्षण तभी दे सकती है जब डेटा के आधार पर तय हो कि उनका प्रतिनिधित्व कम है और वो प्रशासन की मजबूती के लिए जरूरी है।
क्या है क्रीमीलेयर- क्रीमीलेयर शब्द अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के अपेक्षाकृत अमीर और बेहतर शिक्षित समूहों को संबोधित करता है, जो सरकार प्रायोजित शैक्षिक और पेशेवर लाभ कार्यक्रमों के योग्य नहीं माने जाते हैं। वर्तमान नियमों के मुताबिक, ओबीसी वर्ग के केवल वैसे उम्मीदवार जिनकी पारिवारिक आमदनी 6 लाख से कम है आरक्षण के हकदार हैं। हालांकि पारिवारिक आमदनी की सीमा को बढ़ाकर हाल ही में 8 लाख कर दिया गया है।