दागियों के मंत्री बनने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को नसीहत दी है। कोर्ट ने कहा कि पीएम और सीएम दागियों को कैबिनेट में शामिल न करें। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने दागी मंत्री की नियुक्ति को रद्द करने से इनकार करते हुए कहा कि किसी को मंत्री बनाना प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है। हम इस संबंध में कोई निर्देश नहीं जारी कर सकते।
देश के पांच वरिष्ठ जजों की पीठ ने कहा, ‘किसी की नियुक्ति को खारिज नहीं किया जा सकता है। हालांकि प्रधानमंत्री से यह उम्मीद की जाती है कि वह किसी दागी शख्स को अपने मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करेंगे। सुप्रीम कोर्ट की यह नसीहत 2004 की एक अर्जी पर सुनवाई के दौरान आई।
इस याचिका में तत्कालीन यूपीए सरकार के मंत्री लालू प्रसाद यादव, मोहम्मद तसलीमुद्दीन, फातमी और जय प्रकाश यादव को हटाने की मांग की गई थी। पहले तो इस अर्जी को खारिज कर दिया गया। बाद में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने इस याचिका को मंजूर कर लिया।
केस की सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा था कि किसी भी मंत्री को उसके पद से हटाना संसद के संवैधानिक विशेषाधिकार में आता है। किसी भी सांसद को मंत्री बनाने का फैसला प्रधानमंत्री के पास होता है।
गौरतलब है कि मौजूदा एनडीए सरकार में 14 मंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। जल संसाधन मंत्री उमा भारती के खिलाफ कुल 13 केस हैं, जिनमें दो मामले हत्या और 6 मामले दंगों से संबंधित हैं। सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के खिलाफ भी चार मामले दर्ज हैं।