खुशियों का सबब ‘सेरोगेसी ’

मातृत्व किसी भी स्त्री के जीवन का सबसे खूबसूरत अहसास होता है। पर गर्भाशय में संक्रमण के कारण से या कुछ अन्य कारणों कुछ स्त्रियां इस अहसास के लिए तरसती रह जाती हैं। ऐसे में किराए की कोख एक बेहतरीन चिकित्सा विकल्प है जिसमें जोड़े किसी दूसरी महिला की सहायता से संतान सुख की प्राप्ति कर सकते हैं।

वंश सेरोगेसी कंसल्टेंटस के बजरंग सिंह कहते हैं कि भागदौड़ और तनाव भरी जिंदगी में बांझपन के मामले बढ़े हैं। ऐसे में किराए की कोख यानी सरोगेट मदर्स का चलन भी बढ़ा है। बहुत सी महिलाओं में ओवम यानी अंडाणु न बनना, गर्भाशय का कमजोर होना, थ्रेटेंड एबरेशन और हैबिचुअल मिसकैरिज जैसे मामलों के अलावा करियर के कारण बच्चे में देरी भी बड़ी वजह किराए की कोख लेने की। ऐसी महिलाओं के पास मां बनने का एकमात्र यही रास्ता रह जाता है जो किसी वरदान से कम नहींहै। वंश सेरोगेसी कंसल्टेंटस में सेरोगेट मां का भी भरपूर ख्याल रखा जाता है क्योंकि मां की सेहत अच्छी होगी तभी बच्चा भी अच्छा होगा।

साउथर्न फर्टीलिटी सेंटर की डां सोनिया मलिक कहती हैं कि बांझपन सेरोगेसी की एक सबसे बड़ी वजह है। एक सर्वे के अनुसार भारत में हर साल 40 लाख शादियां होती हैं जिनमें से 10 लाख महिलाओं में बांझपन होता हैं। डाक्टरों के अनुसार 35 से अधिक उम्र की महिलाएं कम उम्र की महिलाओं की अपेक्षा कई बीमारियों जैसे- संधिवात, उच्च रक्तचाप, मधुमेह आदि से गर्भावस्था के पूर्व ही पीडि़त हो जाती हैं। ये सभी अवस्थाएं गर्भावस्था के दौरान अधिक घातक सिध्द होती है। साथ ही आज की भागदौड़ भरे जीवन में कम उम्र में ही बहुत सी महिलाओं में ओवम यानी अंडाणु बनने बंद हो जाते हैं या गर्भाशय कमजोर हो जाता है जिससे उनके गर्भवती होने की संभावना कम हो जाती है। ऐसे में उनके लिए आईवीएफ तकनीक बच्चा पाने एकमात्र रास्ता रह जाता है।

क्या है आईवीएफ तकनीक

गंगाराम हास्पीटल की इंफरटिलिटी विशेषज्ञ डा श्वेता मित्तल कहती हैं कि इन व्रिटो फर्टिलाइजेशन यानी आईवीएफ एक तकनीक है जिसमें महिलाओं में कृत्रिम गर्भाधान किया जाता है। भारत में करीब तीन दशक से आईवीएफ तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है लेकिन बीते कुछ साल से इसकी मांग तेजी से बढ़ी है। इस प्रक्रिया में किसी महिला के अंडाशय से अंडे को अलग कर उसका संपर्क द्रव माध्यम में शुक्राणुओं से कराया जाता है। इसके बाद निषेचित अंडे को महिला के गर्भाशय में रख दिया जाता है। इस तकनीक द्वारा मनचाहे गुणों वाली संतान उत्पन्न करने के प्रयास भी होता है। इससे गे या लेस्बियन दंपत्ति भी किराए की कोख के जरिए बच्चे का सुख पा सकते है।

आईवीएफ तकनीक के चरण
आरिजिन मैक्स की डा रश्मि शर्मा कहती है कि इसमें सबसे पहले महिला के सारे टेस्ट कराए जाते हैं। पीरियड के तीसरे दिन महिला के खून का सैंपल लिया जाता है, जिसके जरिए यह जानने की कोशिश की जाती है कि वह किसी तरह की बीमारी से पीडि़त तो नहीं है। अल्ट्रासाउंड के जरिए यह जानने की कोशिश की जाती है कि गर्माशय, सर्वाइकल कनाल और ओवरी की स्थिति क्या है। इसके बाद जब महिला का अंडा 18-20 मिमी हो जाता है तो उसे बाहर निकाल लिया जाता है। फिर स्पंर्स को इन अंडों पर छोड़ दिया जाता है। जब कोई अंडा स्पर्म से अच्छी तरह फर्टिलाइज हो जाता है, तो उसे महिला के यूट्रस में डाल दिया जाता है। आईवीएफ तकनीक के हर चरण पर 80 हजार रुपये से 1.25 लाख रुपये तक का खर्च आता है। कुल मिलाकर चार से पांच लाख रुपए खर्च हो जाते हैं। सरकारी अस्पतालों में इस तकनीक का पूरा खर्च करीब 50 से 60 हजार रुपए पड़ता है।

कानून की नजर में

कई देशों में सेरोगेट मां के अधिकारों की रक्षा के लिए कानून बनाए गए हैं पर भारत में ऐसा कुछ नहीं है। 2002 में भारत में जैसे तैसे सेरोगेसी को कानूनी रूप तो दे दिया गया पर सेरोगेट मां का कोई अधिकार नहीं दिया गया। भारत में सेरोगेट मां के बच्चे पर जन्म से पहले से ही सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं। हालांकि उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश एआर लक्ष्मण की अध्यक्षता वाले विधि आयोग ने किराए की कोख को कानूनी जामा पहनाने की सिफारिश की है। आयोग का मानना है कि ये आज के समय की मांग है कि परोपकार के तहत किराए पर कोख देने को वैध करने के मुद्दे से निपटते वक्त व्यावहारिक नजरिया अपनाया जाए और इसके व्यावसायिक इस्तेमाल पर रोक लगाई जाए। इस कानून के लागू होने के बाद किराये की कोख से संतान सुख प्राप्त करना मुश्किल हो जाएगा।

प्रजनन पर्यटन केंद्र बना आईवीएफ

एक अनुमान के अनुसार पूरे देश में इस समय 330 आईवीएफ सेंटर हैं। इसमें दिल्ली, मुंबई, गुजरात व कोलकाता, पंजाब, केरल आदि के आईवीएफ सेंटर प्रजनन पर्यटन के केंद्र बन चुके हैं। इस समय दिल्ली में अनुमान के अनुसार 27 आईवीएफ केंद्र हैं जिनमें सबसे अधिक विदेशी दंपत्ति के बच्चे ही तैयार हो रहे हैं। पिछले कुछ समय से राजधानी दिल्ली प्रजनन पर्यटन में यूरोप और अमेरिका को मात दे रहा है। यूरोप व अमेरिका में भारत से पांच से सात गुना महंगी दर पर किराए की कोख उपलब्ध हैं। यही नहीं फ्रांस सहित अन्य कैथोलिक देशों में आईवीएफ व किराए की कोख पर प्रतिबंध है। इसकी वजह से पूरा यूरोप व अमेरिका का प्रजनन पर्यटन भारत की ओर स्थानांतरित हो रहा है और इसमें दिल्ली सबसे बेहतर विकल्प है। यही कारण है कि विदेशी दंपत्ति किराए की कोख के लिए महिलाओं की तलाश में भारत आते हैं।